संगीतज्ञ कवियों की हिंदी रचनाएँ | Sangitagya Kaviyon Ki Hindi Rachnayen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२० অধীন कवियों की हिंदी रचनाएँ
दोय प्न के मनोरंजन के साधनों पर प्रकाश डालते हुए जो कहा है वह इस
গলা ন দুল है। वे लिखते हैं--
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मांडकि शिक्षा के
“सत्त स्वरस्तु गीयन्त सामभिः सामनैवुध्धेःः
एवं नांगेय शिक्षा क
यः सामगाना प्रथमः सवेखोमध्यमः स्वरः ।
यो हितीयः स गांधारः तृतीयः ऋषभः स्मृतः |
चतुथ पडज इत्याह निषादः पंचमो भवेत ।
षष्टतु भेवतो ज्ञयः सप्तमः षंचमः स्तः
से भी इसको श्रच्छी तरह पुष्टि दो जाती है | हाँ, यह अवश्य है कि उस युग में
इन सात स्वरों के ये नाम नहीं थे | तत्कालीन साहित्य में मिंले क्रष्ठा, प्रथम,
द्वितीया, तृतंया, चतुर्था, मंद्र और अतिस्वर को संगातीचार्यों ने आज के सांत
स्वगे के समानांवर रखने का प्रयास क्रिया है, जो इ प्रकार ईै--
रध्य... त
বান... ययम
अपम, ..... द्वितीया
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प मिट १८२, 0226 77
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