हिंदी विश्वकोश भाग 20 | Hindi Vishvkosh Vol 20

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रोरी-रोड चर्नकीं रोटो ससयो कफ मर रत पित्ततागर भारी पिण्स्सी तथा नेवोंकि तकरीप देनेय्राठो होता है। तिलकी रोटोमें भो घदी सब गुण हैं । शेरो दि ० खा०् १ गुधे हुए मादेका साय पर सेंको हुइ लाइ या रिक्यि। यद नियके स्रानिकें वामरम माती है। इसे फुरका भी कदते हं। २ मेजिन श्साइ | शरोफल हि ० पु० १ फल ज्ञा यानेमें बहुत अच्छा होता हैं। २इस फलका पेड जे मम्हाल जआकारदा | होता हैं और दक्षिणर्म मस्द्राजकी बोर होता हैं। इसके पत्ते बडे बट होते हैं । | शेडा दि ० पु० बाज्नरेकी पक ज्ञाति । रोड स लिं० १ तूम सतुप |. ० साद चयूण क्या | 1 हुआ | ऐह-पश्नाव मोर युरूपदेशयासी है पिज्ञीवि ज्ञातिपिशप | पश्चावके कर्नार और अम्याला निलेके सोमास्तयर्तती तथा थानेश्वएक दूक्षिगश्य. सुधिस्तूत घाश्जड्ल म्रदंगर्म इन लगाव वास हिं। भारतयुद्धें समंप्र पाण्डवोंने छुदकुडका समूल निमू ल करनिको आगासे नद्दा सेया इुवट्टी को थी घही आामरीन ग्राम इन डे।गाकी आादि बासमूमि है। इस स्थानसे ये लय घर घीरे पश्चिम थपुनाबलके किशरे निम्न कर्णाठ थौर मिन्द आदि मोगा निलोमिं जा कर दस गये हैं । | वे लग मजचून भर सुशील होते हैं। चाट भर इनमें प्रमेद केयल इतना हो दै सि थे शात नन्नप्रह ति के मीर हपिफार्मिरत है । जाट ज्ञातिको तरह थे लेग शुद्धप्रिय घा परम्वापदारी नदीं दवात | | इनकी उत्पत्तिकें सम्वघर्मि कोइ पिश्थ चशेषपार पान मद है। मेड पूर्वपश्नावप्रदेशम राडा नामसे गसतिद्ध सागाकी तरद ये लाग भी गपनंका शलिय बतनातें हैं। परशुदामरक मयसे इन लेगान आइर दूसरा चाति कर कर परिलाण पाया था । इस कारण तमीते इनको पर स्वतस्व ज्ञातिमें यिनठा हुई दैं। युक्त प्रदेशक्ष सरोड़ा थौर पश्ावफें पूर्यचल्वासा रोडासे थामिश्वरपाग्तदासा रेड सम्पूर्ण पूृथरू जाति हैं इसवा अठा ऊठ अ श्दे कोइ विश्वस्त प्रमाण नहीं मिलता । पाइचांट्य जाति तच्पविदोन पूर्वश्चिडवासी रोडाजातिसे पश्चिम पश्चाव यासी रेडॉको बपेशारत मजबूत देख कर दोनों का पृथक ज्ञाति बतराया दे कि तु देनॉंकि आ यार आदि देखनेस थे पर समम्दे जाते हैं। सामानिक आचारमें जारोंकि साथ इनकी काइ परिशेष प्रथफ्ता नहीं है | मुरादावासी आमोन प्रामकें रडॉका फहना है कि वे हाग मी स्थानीय चौदान रानपूर्तोंका एक शाला हैं मीर सम्यर्से यहा मा कर वस गये है । दूसरे रोड घहहते हैं कि रोइत३ जिले भाकर तदसीठका बदली प्राम दी इन रामाका सादि घासस्थान है । फिर काइ कोइ राजपूनाने रे जपना आदि स्थान रतलतते हैं। इन लोगोंगिं. सागपाल माइपा सीधी और ज्षगरान आदि कई थोव हैं। विधया पिवाइ चलता है। नाहरानपुरक शैडॉका कहना दै कि भारतयुद्धप समय श्राहपाने पागवलसे कीथलप्रामर्म इनकी सखुष्टि की थी। इन लागोंकों वियादप्रया जाद और शुजरनाति सी हैं चिघयायिवाद चरता है । घिधया देवरस दा विवाद करता हूं । ये लोग मछली मास बकरे और सूभरका मास सात हैं। इनमेंस कोइ कोइ दल अपतैकों तोमर राजपूंताश का घतलाता हैं | दिल्लोक तोमर राज्य शा प्रमाव हास होने पर दे लोग नाना स्थानोम ज्ञा फरे वस गये । कोई कोइ कहते दै कि सुगठ वाद गाह और हूजेवके शासनसें उत्पीडित हो ये लॉग दूसरी जगद जा वर वस गये हैं 1 घिजनोर रोड कइते हैं किये लोग धीरामयटके पुत्र कुक ये शघर हैं। गत चार सदी पदुडे थे लोग बाल मिलेक् फनेपुर पुरा नामक स्पानसे यर्दा आपें हैं। इस प्राममें सेयदोका वास था । सगे चल कर सैयद गीर रोडॉंमें धिवादू सदा हुआ । रोड अपर दल पति मदददनादके अधीन मस्पत ज्ञा कर दस गये 1 पे लोग स्वाद तथा दूसरे दूसरे मिधाकलापादिं सम्द्रास्त हिन्दू जैस करते हैं। दिघया देवरस जिया कर सकलो है किस्तु चद विधयाक इच्छाघीन है स्त्री खरित्के समद पमें संद्हजनक प्रमाण मिल पर जातोीप समासे दसे गाविच्युत करनकों ब्ययम्था है श्स्तु




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