मेरी बात | Meri Baat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१).
_ द्वारा फेंकने का काम सौंपा मया । इमारा या बच्चों का दल. महाराज
छत्रपति शिवाजी, लोकमान्य तिलक जादि को जब .धोलते हुए, चौराई
पर आकर रुक सया चौराहा नगर के बचों बीच था । यहाँ. पर सड्दीनें
लगीदुई तीन २ बत्दूकें .तीनु,जगद रखी हुई शी । पन्दद पुलिसमेन, दो
_ सब इन्सपेक्टर,एक सर्कल इन्सपैबटर सुपरिय्ट शुडेणट पुलिस, डी० सी० द
. अन्य श्ीप्कारो गण खड़े थे । में न मेरे अन्य साथी रायफ्लें .शेकर मगंसे
को तेयार हो गये | मैंने मेरे सयियों को भबरते देखा परन्तु वे पीछे
न हदटे, क्योंकि मेरी आशा थी कि यदि कोई लदका इमसला न करते हुए
पोछे हटेगा तो उसे बहुत पीटा जायेगा । इसने इमसला बोलदिया ! पुलिद
देरान थीं 1 उन्हें कुछ भी समन में न आग | तन तक मैं इयियारों के
पास पहुंच कर रायफल उंठाने लगा तो तीनों जुबी हुइ अन्दूकं मेरे ऊपर:
गिर पढ़ी | लत्र लड़के माग गये पुलित ने उनका पीछा किया । कुछ .
देर के : लिये मैं. मी. माग' कर जा छिपा । किन्तु मुमे इमसारी पराजय पर.
स्लानि उदन्न-दोजाने के कारख मैं झपने साथियों सदति पुलिंत के सामने
आगया । मैंने कोचा यदि सरकारी नौकरों को सुक्के जो दासता का
शान, ढुवा दे व इन्हें करादूगा तो थे : मी मेरे दल में मिल जाबेंगे !
मंने उन्दें सब सस्व का बठ़ला दी । अभिकारी गण हमें देखकर इंसने
लगे | किन्तु मैं उनके इंसने का कारण न समनपाया | चुने अपने दक-
बल संत पुलिस के सकिक्त इस्तपेक्टर के मकान पर लेजाया : गया वहां
इम सबको इल्छ्ानुसार स्वीर, जलेबी, मिटाइयों आदि डी. सी. जो कि
एक झाबरिश ये, उनके ब्यब से खिलाया. गया । दोँं इसारी इच्छानुसार
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