मेरी बात | Meri Baat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Meri Baat by उपाध्याय नन्दलाल शर्मा - Upadhyay Nandlal Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उपाध्याय नन्दलाल शर्मा - Upadhyay Nandlal Sharma

Add Infomation AboutUpadhyay Nandlal Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१). _ द्वारा फेंकने का काम सौंपा मया । इमारा या बच्चों का दल. महाराज छत्रपति शिवाजी, लोकमान्य तिलक जादि को जब .धोलते हुए, चौराई पर आकर रुक सया चौराहा नगर के बचों बीच था । यहाँ. पर सड्दीनें लगीदुई तीन २ बत्दूकें .तीनु,जगद रखी हुई शी । पन्दद पुलिसमेन, दो _ सब इन्सपेक्टर,एक सर्कल इन्सपैबटर सुपरिय्ट शुडेणट पुलिस, डी० सी० द . अन्य श्ीप्कारो गण खड़े थे । में न मेरे अन्य साथी रायफ्लें .शेकर मगंसे को तेयार हो गये | मैंने मेरे सयियों को भबरते देखा परन्तु वे पीछे न हदटे, क्योंकि मेरी आशा थी कि यदि कोई लदका इमसला न करते हुए पोछे हटेगा तो उसे बहुत पीटा जायेगा । इसने इमसला बोलदिया ! पुलिद देरान थीं 1 उन्हें कुछ भी समन में न आग | तन तक मैं इयियारों के पास पहुंच कर रायफल उंठाने लगा तो तीनों जुबी हुइ अन्दूकं मेरे ऊपर: गिर पढ़ी | लत्र लड़के माग गये पुलित ने उनका पीछा किया । कुछ . देर के : लिये मैं. मी. माग' कर जा छिपा । किन्तु मुमे इमसारी पराजय पर. स्लानि उदन्न-दोजाने के कारख मैं झपने साथियों सदति पुलिंत के सामने आगया । मैंने कोचा यदि सरकारी नौकरों को सुक्के जो दासता का शान, ढुवा दे व इन्हें करादूगा तो थे : मी मेरे दल में मिल जाबेंगे ! मंने उन्दें सब सस्व का बठ़ला दी । अभिकारी गण हमें देखकर इंसने लगे | किन्तु मैं उनके इंसने का कारण न समनपाया | चुने अपने दक- बल संत पुलिस के सकिक्त इस्तपेक्टर के मकान पर लेजाया : गया वहां इम सबको इल्छ्ानुसार स्वीर, जलेबी, मिटाइयों आदि डी. सी. जो कि एक झाबरिश ये, उनके ब्यब से खिलाया. गया । दोँं इसारी इच्छानुसार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now