बाईसवी सदी | Baisvi Sadi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० बाईसवीं सदी
लिए विद्यालय में षले जाते हैं और बीस वर्षकी अवस्थामें शिक्षा समाप्त
होने पर उनमेंसे बहुत कम अपने जन्मके गाँवकों लौटते हैं । जिनकी जिस
विद्या और शिल्पकी ओर रुचि हुई, वे उसी तरहकी बस्ती में जा
बसते हैं ?
“तो जान पड़ता है, अब सभी बातोंमें पुराने जमानेसे अन्तर हो
गया है । अच्छा, यह तो बताओ, इस समय नेपालका राजा कौन है?
“नेपालका राजा ! 'राजा' णब्द तो अबे पुस्तकोंकी ही शोभा बढ़ात।
है । अब राजा कह ?
“अच्छा, ये बाग किसके हैं ” ''
अब तो सभी चीजें राष्ट्रीय हैं, सिर्फ बाग क्था? यह धर,
कुर्सी, पलेग, लडके, स्त्री-पुरुष सब राष्ट्र के हैं ।'
“तो राष्ट्रका संचालन कसे होता है ?”'
'हमीं लोगों द्वारा चुने गये पंचोंकी पंचायतोसे । ग्राम, जिला, प्रांत,
देश, अखिल भूमंडल सबका संचालन इसी तरह होता है ।”
“क्या भूमंडलका एक ही राष्ट है?
हाँ, आज सो वर्षसे । अच्छा, तो अब हमे आज्ञा दीजिये, हम लोग
भी अपना बचा काम समाप्त कर आवें । (घड़ी देखकर) चार बज गये,
पाँच बजे हम लोग यहाँ से चलेंगे । मैं अभी ग्रामणी को आपके मिलने की
सुचना देता हूं । शामकों वहीं विश्वाम करना होगा ।''
“हाँ, आप लोग अपना काम करें । मैं मजेमें यहाँ बठा हूँ ।''
सुमेधके उठते ही सभी लोगोंने बागका रास्ता लिया । सुमेध ने टेली-
फोन की घंटी बजाई । जिसका उत्तर भी तुरन्त मिला । उन्होंने चुपकेसे
न जाने क्या कहा । फिर कुछ सुनकर मुझसे बोले-- “हमारे ग्रामणी
देवमित्र आपसे कुछ बात करना चाहते हैं । मैं तो अब काम पर जा रहा
हूं।” यह कह वह भी कामपर चले गये । मैं ररेडियो-फोन' के पास गया ।
वरहा देखता ह, एक शीशेपर एक मनुष्यका प्रतिबिम्ब है । मै चकित होकर
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