धर्म पालन | Dharm Palan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
267
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४
एक 'अकेला भंगी मुमे यदहांसे उठाकर फक दे सकता है । लेकिन
वे मुमसे प्रेम करते हैं; वे जानते हैं कि में हिन्दू ही हूँ। उधर
जुगलकिशोर बिड़ला मेरा भाई है । पैसे में बह बड़ा है; पर वह
मुमे अपना बड़ा मानता है । उसने मुभे एक अच्छा हिन्दू समम
कर यहां टिकाया है । उसने जो बड़ा भारी मन्दिर बनवाया है
उसमें भी वह मुभे ले जाता है । इतने पर भी वह लड़का अगर
कहता है कि तुम यहांसे चले जाश्ो, तुम यहां प्राथना नहीं कर
सकते तो यह घमण्ड है । लेकिन आप लोगों ,को उसे प्रेम से
जीतना चाहिए था । आपने तो उसे जबरदस्ती निकाल दिया ।
ऐसी जबरदस्ती से प्राथना करने में क्या फायदा ? वह लड़का तो
गुस्से में था और शुस्से के मारे वह वहशियाना बात कर रहा
था । ऐसी ही बातों से तो पंजाब में यह सब कुछ हीगया ! यह्
गुस्सा ही तो दीवानेपन का आरम्भ है ।
दीवानापन क्यों?
“भी इस लड़की ने जो श्छोक सुनाये उनमें यह् बात
बताई गहै है किं जब शमदम विषयों का ध्यान करता है--विषय
माने एक ही बात नहीं पर पांचा इन्द्रियों के स्वादो का ध्यान धरता
है--तो बह काम में फँसता है। फिर वह क्रोध करता है और तब
उसे सम्मोह यानी दीवानापन घेर लेता है । ऐसे ही दीवानेपन से
देहातियों ने बिद्दार में ऐसी बात कर डाली कि मेरा सिर सुक
गया । नोझाखाली में भी ऐसे ही दीवानेपन से लोगों ने ज्याद-
तियां कीं । पर बिह्दार में नोआखाली से ज्यादा जंगलीपन हुआ ।
और पंजाब में बिहार से भी ज्यादा । अगर आप लोग सच्चे
हिन्दू हैं तो ऐसा नहीं करना चाहिए । कहीं कोई सभा हो रही हो
और वहां कदी जानेवाली बात हम नदीं सुनना चाहते हों तो हमें
ड़ कर चले जाना चाहिए । चीखने-चिल्लाने की ज़रूरत नहीं
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