तत्त्वभावना [बृहत सामायिक पाठ] | Tatvabhavna [Brihat Samayik Path]

Book Image : तत्त्वभावना [बृहत सामायिक पाठ] - Tatvabhavna [Brihat Samayik Path]

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अमितगति आचार्य - AMITGATI AACHARY

Add Infomation AboutAMITGATI AACHARY

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(११) जी | नो अब उह संगमे बेटी व्यवहार ओर खानपान चाद है बह मापके ही अति परिश्रमका फल है | मापने है ० १९ ७७में सदकुटुम्ब तीर्भयात्रा करते हुए सेमरखेड़ीकि मंदिरकों विमान, छत्र, चेमर, छड़ीमाला भादि उपकरण प्रदान किये थे। चौरईमें भी शिखरबंद मंदिर बनवाया है और संगमरमरकी जड़ाऊ बेदी भी लगाई है | व यहां दो समय प्रतिष्ठा कराई इस कारण ममाजने आपको सेठनीकी पदवीसे मूषित किया दै। आपका समानमें अच्छा सन्मान है । आप इस प्रांतके समान- मान्य श्रेप् पुरुष है । भापका लक्ष विशेष घर्म और समान सगठनकी ओर रहता है । आपको दिगम्बर जैन धर्मंसे विशेष प्रेम है तथा. शक्तयनुसार इमेशा संम्थाओंको तथा दीन दुखियों आदिको दान करते रहते हैं व धार्मिक कार्योमें सदेव देते रहते है । गभी हऊमें आपने रूलितपुरके चेत्यालबमें सद्दायता दी थी तथा राजगृीके दिगम्बर जैन मंदिरमें भी सद्दायता पहुंचाई । वढ़नगरमें अनाथ बालकोके रहनेके लिये १ कोठरी बनवानेके लिये द्रव्य दिया है । जब मुनि श्री सूर्यसागर नी महारानका आगमन सिवनीमें हुआ था तब उनके समझ भ्दिसा प्रचारणी सस्था ग्वोछी गई थी, जिसमें आपने ३००) रु० का दान दिया था और वह सेम्था नमी तकं चाद्ध है । यह सस्था देवी देवताओं पर बढिदिसा रोकनेक्ा प्रयत्न करती रहती है । आपने भपने यहंकि मंदिरोकी योग्य व्यवस्था कर दी है । जिसमें १ मोना, चजुरत रा०(-)४ और खेती १३० ०)की; १ बाड़ा कुंड़ाके मंदिरोको अमराई दे दी है। जिससे मंदिरोंका काम सुचारू रूपखे चलता रदे । इसका




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now