लग्न चन्द्रिका | Lagnchandrika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : लग्न चन्द्रिका  - Lagnchandrika

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

पं रामबिहारी सुकुल - Pt. Rambihari Sukul

No Information available about पं रामबिहारी सुकुल - Pt. Rambihari Sukul

Add Infomation AboutPt. Rambihari Sukul

श्री गोकर्ण दत्त त्रिपाठी - Shree Gokarndatt Tripathi

No Information available about श्री गोकर्ण दत्त त्रिपाठी - Shree Gokarndatt Tripathi

Add Infomation AboutShree Gokarndatt Tripathi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लग्न-चन्द्रिका सटीक । पी पट तने घन ग्राताँ सुहर्ते पुत्र रिपु सी गृत्यु घंगे कम आय और व्यय ये बारह भाव कहे गए हैं ॥ २ ॥ मेष आदि बारह राशियों की संज्ञाएँ । विषमोध्थ समः पुंस्त्री कूर सोम्यश्ध नामतः । चरः स्थिरो द्विस्व भावों संघाद्या राशयः क्रसात्‌ ॥ ३॥। मेष आदि घारह राशियों में क्रम से सम और विषम श्र्थात्‌ मेष विषम इुष सम फिर मिथुन विषम कके सम ऐसे ही बारहों राशियों को जांनो । एवं पुरुष ओर सखी अर्थात्‌ मेष पुरुष बष खी मिथुन पुरुष कर्फ ख्री ऐसे ही क्रम से जानना चाहिए । तथा क्रूर और सौम्य अर्थात्‌ मेष क्रूर दृष सौम्य मिथुन क्रूर कर्क सौम्य ऐसे ही क्रम से.बारहों राशियों को जानो । इसी प्रकार चर स्थिर और द्विस्वभाव अथात्‌ मेष चर बुध स्थिर और मिथुन द्विस्वभाव ऐसे ही कर्क चर सिंह स्थिर कन्या द्विस्वभाव इसी तरह बारहों राशियों को जानो ॥ ३ || बारहों भावों की संज्ञाएँ । दुश्चिक्य स्यात्तृतीयं न खुखे सदा चतुथकम्‌ | बन्घुसज्ञ च पाताल हिवुकं पश्चमं च घीश ॥ ४ ॥ च्यून झुनमथास्तं च यामित्रं सप्मं स्सतम | दशम त्वस्वर सध्य छिद् स्पादछम यहमू | ४॥। एकादश मवेल्ञाभः सवतों भद्रमेव च। च्ययों रिष्फ द्वादशं च चिकोण नवपश्वसे ॥ ६ ॥| न्रिषछद्शला भानां मवदपचयाख्यकम । चतुधाध्मया। सज्ञा चतुरखर सस्ता बुध ॥ ७ ॥ कन्द्रचतु ध्यकरटकसज्ञा55द्यचतुथससमदश मा नाम | परत पणफरमापाक्कस च बचद्य यधाक्रसत ॥ ८1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now