आज री राजस्थानी कहानियां | Aaj Ri Rajasthani Kahaniyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आज री राजस्थानी कहानियां  - Aaj Ri Rajasthani Kahaniyan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रावत सारस्वत - Rawat Saraswat

Add Infomation AboutRawat Saraswat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भाज री राजस्थानी बातां १५ वात भी लागे के अडे अध्यातम अर्‌ पारनोनिव ज्ञान री वात बरणिया सुदामाजी सवादा री इसी चटपटाद मे रुचि किया राखें । ज्यादातर तो यू देखण मे भावे वौ बाचाढ़ पान ही वेसी बोले जद के दूजा घणखरा पात्र था तो युणे, या हा-हे कर अर नी तो थोडो सो बोले । बरोवर रा सवाद सुभावीक कोनी लागे । जट सवाद दक. तरफा है भी तो वर्ठ राष्ट्र री समस्यावा या अध्यातम रा रहस्या बाबत भासण- बाजी देसी है। पण मे सगछी वाता होता थव! भी आज रे राजस्थानी साहित्य में बात रो मरम, कैवण रो तरीको, भासा री सुघडाई अर धरती री गघ जे किणी लिखारा में है तो वा मे सुदामाजी सिरे है । वै आपणे गावा री, आपणे समाज रौ थर भट ताईं कै आपणे मायलै मन री समस्यावा ने भली भात उठाई ही नी है निवेडी भी है । सादे सू साई पात्र मे बडर वे उणने महान वणावण री सुफ्ठ चेस्टा करी है। वे सही अरथ में मिनख रे माय लुक्योड असली भिनख नै पिछाण्यो अर परगट करयो है। लिखारा जद थोथे वादा रै झमेलें में पड र लोगा मैं सुहाती लीपापोतीकषरण लाग जावै तौ वै आप्रैमूचै भासण सू घणा नीचें आ पड़े । वरगभेद रा झगड़ा नै उभार'र समाज में खरास पैदा करण सू समस्या रो निषटारो न आज हुवे न बाल्‌। समाज री व्यवस्था बदढणे रो सवाल मुख्य है जिको राजनीत सू बेसी जुड'धोड़ो अर बै रै ही बस रो है। लिखारा उण री जरूरत नै अर उण रै मरम मैं इणी भात परगट मरे मी व्यवस्था नै बदछण री जरूरत गहरी मालूम देवै । ने वा रै लेखण सू समाज मे अव्यवस्था प॑न अर मार-काट री नौबत आव तो बि लेवण पर भमी भ्रात विधार करण री जरुरत है। सुदामाजी र. दूजे साहित्य में कठै-बठे इसा संकेत मिल जिणने अनेक आलोचक ठीके मान स्वं पण वै लोकमगछ री भावना रे भजव कोनी । भरादवेन् शर्मा “वन्दे मू रूप मे उपन्यास रा लिवारा दै। ह गौरी विण पीव री अर “जोग सजौग' नाव रा दो उपन्यास मा रा ट्या है। हिन्द मे षणा उपन्यास लिख सू उपन्यास लिखणे री कटा आरी कलम मे रम्योढी है । कामया थोडी लितेडी दहै । राजस्थान र समाज, खाम तौर सू गावाभू समाज वावत जाण- कारी कमं हृवण सू आरी क्ाणिया मे ठेठ देसो रगत कोनो । भासा भौ सहरी भर हिन्दी रं भसरवाढी हृबण सू घणक या दूजा रै मुकावलं कमजोर पदै । कहाणिया रौ समस्यावा जढं राजस्थान री धरती सू वारं री है, बठे वं नये जमाने रैं रग में गहरी डूब्योडी है यादवेन्द्र री देश भासा अर समस्यादा सू कम, उपर्या्त लिखणे री कारीगरी सू वेसरी स्वध राख 1 करणीदान बारठ रो क्या सद्र आदमो रो सीग' नाव सू छथ्योडो है। कथावा रा विसय नेक भात रा है । वारठजी मास्टर अर ठेठ गाव रा रैवणिया । आरी कहाणिया में भी मास्टरा री जिंदगी री खारी-मीठी आपबीती माइचोडी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now