महावीर शासन | Mahaveer Shasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह जा कवल शान य बाद जम समवशरण की म्बना होनी ६ नत दवेनद्र चक्रयती संपर्यिर उपासना भक्ति में हाजिर होत हैं ! पटे घम सामाग्यक्षाली दयानिद्य एक प्क अवसर्पिणी ओर उत्स पिणा वालूम चौपीस चौवीस दोते हैं वत्तमान वौपीसमिं-१-श्रीक्- यत देवजी, २-श्रीययितनाथनी, ३-शीप्तमपनायजा, ४-श्रीअभिनस्द नले, ५ --श्ीमुमतिनायनी, ६-श्रीपयपमुजी, ७-श्रोनुपा्वापज) द~श्राचद्रभणुरी, ९ -श्रीमुपियिनायजा, १०-श्रीरीनत्नायनी, ११ श्रीभ्रेयांसनायजी, > र--यीयासुपूज्यजी, १३-श्रीपिभक्नापजी) २४ श्रीअनानाथती १५-श्रीरमनाथजी, १६-रौरघानिनायनी, १७-श्री शुधुनायजी) *८-श्रीअस्नायजी, १९, श्रीमलिनायगी, २ ०-श्रीमुनिमुध तस्वामीती, ११-श्रीनमिनायजा, २९-श्रीनसिनायडा, र३-श्रीपाश नाथजा, र४-श्रीयद्धमानस्वापी । इनमें स जा आतम तार्थरर यद्धमान स्वाभाजी हूं, उनका प्रिद नाम है सदानीरदेर, वर्समान काठमें जा. शासन चत्ता हे, इस के संचालक यदी प्रमु हैं व्स देवाधिन्य क एकादश गणे य, जिनके नाम -रन्दमूति (गतिम स्वामा ) <-अत्रिमूनि, $-वायुमति, ४ प्यक्त, ५ -गुवम, ६-मण्ित, ७-मोर्वपुन, ८-अकपित, ५-अचलप्रा ता, १०-मेताव, १ १-प्रभात, यद १ १ ही मुसि श्रीमढावीर के मुख्य शिष्य थ। मददावार परमात्मा के निरण क दुर ही दिन गौतिम्वामी को कवल शान पैदा डुआ था | कुछ. यों: क पीड. सुधमा रयामी को कद शान पैदा हुआ था | इन्द्रमूति (गोतिम ) और सुवर्माश्वामी के अलावा नव ही गण घर सद्दादीर: ममु की हयापी में ढी माक्ष चले गय ये । मौतमस्पामी की अपक्ष मी. श्रीसु+मस्वामी दीर्वाय थे इस स्मि प्रमुने गण




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