अध्यात्मज्ञान की आवश्यकता | Adhyatmagyan Ki Avshyakta
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे
जिंदसी वास्तविक सुख को प्राप्त करने के लिए होना
चाहिए। सच्चा सुख तो वास्तव मे भ्रध्यात्मज्ञान के बिना
प्राप्त नहीं होता । अध्यात्मज्ञान के विना मनुष्य अघकार
में सुख को हू ढत्ता है । भ्रध्यात्मज्ञान द्वारा पुर्वे मे श्रनेक महा-
त्माम्रो ने सच्चा सुग् प्राप्त फिया हे । इसलिए सच्चे सुख की
प्राप्ति के लिए श्र्यात्मतान की श्रावदयकता सिद्ध होती है ।
धर्म का मुल
दुनिया मे ्व्यात्मज्ञानरूप वर्ममूल विना कोई भौ दशँनरूपौ
वृक्ष टिक नहीं सकता । श्रात्मिक ज्ञान हए विना विपयो को जीता
नही जा सकता श्रीमद् यमोविजपजी उपाध्याय श्रच्यात्मसार
श्रथंमेश्रव्यासज्ञान कोसव प्रकारके ज्ञान मे उत्तम माना
है । श्रीमद् हेमचन्द्राचार्य ने भी झध्यात्मज्ञान की उत्तमता को
स्वीकार किया है ; भ्रध्यात्मज्ञान से मन, वाणी झ्ौर काया के
योग की शुद्धता होती है । जगत् मे चितामणि रतन समान
श्रध्यात्म्तान है, अध्यात्मज्ञान के कारण ही भारतदेश उत्तम
गिना जाता है। पाइ्चात्य देशो मे बाहरी विद्या के कारण
घाह्य उन्नति दीखती है, किन्तु आतरिक उन्नति के श्रभावमे
दया श्रादि के सिद्धातो का विशेष प्रमाण में प्रचार नही हुमा ।
जब जब अध्यात्मनान से लोगों को वृत्ति हटी हि भौर
अध्यात्मज्ञान के स्वरूप को समभने चालो पर तिरस्कार भाव
आया है तच तव भारत मे युद्ध, पलेश और कुसप के घादल
सडराये हैं । मनुष्यों का श्रब्यात्मज्ञन में प्रवेश होना महा कठिन
है । कितने ही भ्रध्यात्मज्ञान का सण्टन करते है उसका कारण!
यह है कि उन्होंने अव्यात्मज्ञान का आ्रास्वादन नहीं किया है ।
बित्तने ही मनुष्य किसी श्रयात्म श्रारावकफ मनुष्य के दुराचरख
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