सत्यार्थ-प्रकाश और जैनधर्म | Satyarthprakash Aur Jaindharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी कर्मानन्द जी - Swami Karmanand Ji
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फ्री श्र वोतरागाय नम
सत्यार्थप्रकाश आर जेनघम
नाक कै
[ ? ]
स्यानी दयानन्द जी सरस्वती
श्री रपामी दयानन्द जी चतमान समय के युग प्रधान व्यक्तियों में
स एक है । उनके डदय में हिन्दु जाति एवं भारत भूमि के लिये झगाध
परम था । उन्दों ने इनकी उन्नति के लिखे शक्ति भर प्रयत्न भी किया |
परन्तु दुख्ब है कि एसें सह पुरुष का प्रामाश्तिक जीवनचरित्र आत तक से
बन सका । आयंसम,ज ने ्ाज् तक जितत भी जीवन चरित्र लिख रै
थ सप किवार कल नात्रा के त्वार पर लिखे हे । उन्होंने स्वाभी जा
के ्वदर्न-ल्िस्विते निज जीवन चरित्र क श्चाधार पर दही श्रपना मर
सर डा किया है | किन्तु स्वामीजी के दस्त लिखित भी दो जीवन चरित्र है ,
१-. यर जीवन-चरित्र अ/यंसमाज फरूरबार की तरफ से पणिड़त
गशोशदत्त जी न दुपवाया हं ।
२-- यह जीवन-चरित्रस्वामीजीने 'थिग्ासोफिस्ट' पचमें छुप या
था | इसका उदु श्रनुवाद् सम्वत ६४५ मे दलपतर,य जगराव
वालो ने छपबाया था ।
इन दोनों में बड़ा झन्तर है। इसकी समालोचना पं० जगन्नाथ
जी मुरादाबाद वालों ने की थी, जो कि वेकटेशवर प्रेस बम्बई में सम्वत्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...