सत्यार्थ-प्रकाश और जैनधर्म | Satyarthprakash Aur Jaindharm

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Satyarthprakash Aur Jaindharm by स्वामी कर्मानन्द जी - Swami Karmanand Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फ्री श्र वोतरागाय नम सत्यार्थप्रकाश आर जेनघम नाक कै [ ? ] स्यानी दयानन्द जी सरस्वती श्री रपामी दयानन्द जी चतमान समय के युग प्रधान व्यक्तियों में स एक है । उनके डदय में हिन्दु जाति एवं भारत भूमि के लिये झगाध परम था । उन्दों ने इनकी उन्नति के लिखे शक्ति भर प्रयत्न भी किया | परन्तु दुख्ब है कि एसें सह पुरुष का प्रामाश्तिक जीवनचरित्र आत तक से बन सका । आयंसम,ज ने ्ाज् तक जितत भी जीवन चरित्र लिख रै थ सप किवार कल नात्रा के त्वार पर लिखे हे । उन्होंने स्वाभी जा के ्वदर्न-ल्िस्विते निज जीवन चरित्र क श्चाधार पर दही श्रपना मर सर डा किया है | किन्तु स्वामीजी के दस्त लिखित भी दो जीवन चरित्र है , १-. यर जीवन-चरित्र अ/यंसमाज फरूरबार की तरफ से पणिड़त गशोशदत्त जी न दुपवाया हं । २-- यह जीवन-चरित्रस्वामीजीने 'थिग्ासोफिस्ट' पचमें छुप या था | इसका उदु श्रनुवाद्‌ सम्वत ६४५ मे दलपतर,य जगराव वालो ने छपबाया था । इन दोनों में बड़ा झन्तर है। इसकी समालोचना पं० जगन्नाथ जी मुरादाबाद वालों ने की थी, जो कि वेकटेशवर प्रेस बम्बई में सम्वत्‌




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