दारुलश्फा | Daarulashfa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
441
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रन / दाइलशफा
भफसर किसका झादमी, किन जिल! घिकरियों पर कितना विददात किया
जा सकता, विभागों मे प्रभाव डालने के लिए किससे कहना हीगा, इस
सबका शान उनको था । पुलिस, श्रावकारी, विक्रीकर, सिचाई-मिनती,
ङयि प्रादि विभागो कीभ्रोर् उत्सुकदास टसा मकै, देखा चिपक जँ शहद
के छत्ते की श्रीर मधुमम्ी !
इसी बीच गुरुपदस्वामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये । भ्रव मयाया,
महत्वपूर्ण विभागों में चुने हुए लोग रते जाते । फार्मूला सीधा था, या तो
दन विभागों के मालय यु्पदस्वामो गुट के मंधियोके पास रहते या
इन विभागों में चुने हुए झ्धिकारियों को रखा जाता । ॥
इधर विकासशील योजनाश्रो की भसीम चढीत्तरी से विभागीय मधि
कारियों मे भी सरफुडब्वल होने लगी 1 पदोम्नति, फ़ायदे की जगहों षर
सिट के सिए प्रधिकारी एक-दूसरे की शिकायतें करके भंडाफोड़ किया
करते । बासन में उत्सुकदास बड़ी चालाकी से इन शिकायतों का प्रयोग
्रधिकारियों के ऊपर करने लगे। उनको बाँधकर उल्ताइ़-पछाड़ करने के
लिए तबादमा-तरवकी, विजिलेन्स जाँच, श्रामदनी वाली जगहों पर पोर्ट
भादि हथियारों का प्रयोग किया जाता 1 झाजादी के बाद जैसे भूखों-नंगों
की बड़ी-सी फोश पार्टी सरकार को घेर रही थी । व
युरुपदस्वामी की श्राड़ उनके लिए बहुत वदी भाड् यी, जिसकी भ्रं
उत्सुकदास भ्रपना सेल सावधानी से खेलते रहै । गुष्पदस्वामी क
कमजोरिधो फो सुभवू से समझकर उनके सरल स्वमाव का साभ
उठाते हुए, शत्तुकदास धीरे-धीरे उन पर पुरी तरह हावी हो गये । गुरु-
पदस्वामी करीब-करीव महात्मा थे। नपी राजनीति के तीन-तिकड़म उन्हें
कां श्रते} उत्युकदास को वह लड़के सरीखा मानने लगे।
फर एके दिन चह् भी भाया जव उत्सुकदास मंत्रिमंडल मे से लिये
1 मंत्री का ठाट-बोट देखकर पहले तो बहु कुछ चबकर में पड़े । खनद
रना क्या था, यही समझ न भराता ! तब लोगों ने उनको समकाया,
श्री हो बादशाह का नया नाम है। चसे तो सिकं हनम देना होता है। हुबम
पला देते मी क्या प्रपते चिभागकतेवारेमे उन्हें कुछ भी हो मालूम न
} तेव यज् प्रफषर शौकान्त पाठक से उन्हें बताया, मंत्री कोई हुमेशा
रहता । समय से मिले मौके में कुछ जमा-कोढ लो ! मंत्रो न रहे हो
पूछेगा 7 राजनीति के दौव-पेंच के लिए भी रकम चाहिए थी' &
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