दारुलश्फा | Daarulashfa

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Daarulashfa by राजकृष्ण मिश्र - Rajkrishn Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजकृष्ण मिश्र - Rajkrishn Mishra

Add Infomation AboutRajkrishn Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रन / दाइलशफा भफसर किसका झादमी, किन जिल! घिकरियों पर कितना विददात किया जा सकता, विभागों मे प्रभाव डालने के लिए किससे कहना हीगा, इस सबका शान उनको था । पुलिस, श्रावकारी, विक्रीकर, सिचाई-मिनती, ङयि प्रादि विभागो कीभ्रोर्‌ उत्सुकदास टसा मकै, देखा चिपक जँ शहद के छत्ते की श्रीर मधुमम्ी ! इसी बीच गुरुपदस्वामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये । भ्रव मयाया, महत्वपूर्ण विभागों में चुने हुए लोग रते जाते । फार्मूला सीधा था, या तो दन विभागों के मालय यु्पदस्वामो गुट के मंधियोके पास रहते या इन विभागों में चुने हुए झ्धिकारियों को रखा जाता । ॥ इधर विकासशील योजनाश्रो की भसीम चढीत्तरी से विभागीय मधि कारियों मे भी सरफुडब्वल होने लगी 1 पदोम्नति, फ़ायदे की जगहों षर सिट के सिए प्रधिकारी एक-दूसरे की शिकायतें करके भंडाफोड़ किया करते । बासन में उत्सुकदास बड़ी चालाकी से इन शिकायतों का प्रयोग ्रधिकारियों के ऊपर करने लगे। उनको बाँधकर उल्ताइ़-पछाड़ करने के लिए तबादमा-तरवकी, विजिलेन्स जाँच, श्रामदनी वाली जगहों पर पोर्ट भादि हथियारों का प्रयोग किया जाता 1 झाजादी के बाद जैसे भूखों-नंगों की बड़ी-सी फोश पार्टी सरकार को घेर रही थी । व युरुपदस्वामी की श्राड़ उनके लिए बहुत वदी भाड्‌ यी, जिसकी भ्रं उत्सुकदास भ्रपना सेल सावधानी से खेलते रहै । गुष्पदस्वामी क कमजोरिधो फो सुभवू से समझकर उनके सरल स्वमाव का साभ उठाते हुए, शत्तुकदास धीरे-धीरे उन पर पुरी तरह हावी हो गये । गुरु- पदस्वामी करीब-करीव महात्मा थे। नपी राजनीति के तीन-तिकड़म उन्हें कां श्रते} उत्युकदास को वह लड़के सरीखा मानने लगे। फर एके दिन चह्‌ भी भाया जव उत्सुकदास मंत्रिमंडल मे से लिये 1 मंत्री का ठाट-बोट देखकर पहले तो बहु कुछ चबकर में पड़े । खनद रना क्या था, यही समझ न भराता ! तब लोगों ने उनको समकाया, श्री हो बादशाह का नया नाम है। चसे तो सिकं हनम देना होता है। हुबम पला देते मी क्या प्रपते चिभागकतेवारेमे उन्हें कुछ भी हो मालूम न } तेव यज्‌ प्रफषर शौकान्त पाठक से उन्हें बताया, मंत्री कोई हुमेशा रहता । समय से मिले मौके में कुछ जमा-कोढ लो ! मंत्रो न रहे हो पूछेगा 7 राजनीति के दौव-पेंच के लिए भी रकम चाहिए थी' &




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now