छत्रप्रकाश | Chatraprakash
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३ )
देह 1
माष्यो जात न जासु जस , ठेसे उदित दिनेस।
ताके भयो महा वरी, मयु उदड नरेख॥५॥
छन्द |
मनु अनेक मानस उपजाये । यातै मानव भमयुज कहाये ॥
चरनं ताको बंस काँ लं जगत विदित नरलोक जहां खो ॥
तिन में छिति छत्री छवि छाये ! चारि दुगन दातत ज आये ॥
भूमि भार भुजदंडनि थमे 1 पूरन करै जु काज रंभे ॥
गाइ वेद दुज के रखवारे ¦ उद्ध जीत के देत नगारे” ॥
परम प्रवीन पजन के पाले । भीर परे न हरये दष्टि॥
दान हेत सपति कै जारः! जस हित परनि खम्ग गहि तेरे ॥
वंह छह सरनागत राखे | पुन्य पंथ चलि असिन्छाये॥
दाहा |
प्रगट भयो तिहि बंख में , रामचंद्र अवतार)
सेतु बांधि के जिन कियो , दसमुख कुछ संघार ५ ६॥
छन्द ।
रामचंद्र के पुत्र सुद्दाये । कुख लव भये जगत ज गायेर ॥
कुस कुर कलस भये छवि छये । अवधि पुरी चुप घने गनाये ॥ '
तिन म दानजुभ सिरताजा । दरिन्रह्म कुंख्थसन राजा)
हरिबरह्म कुरुतिरुक प्रान । मष्षीपार जस जाहिर कीने 1
महीपार उदित सुत पाये! नुप-कुख-मनि भुवपाट काये ॥
तिनके कमल चंद जग जानै । सरन के सिरमोर खाने ॥
तिनके चित्रपाल मरदाने । बुद्धिपाल जिन खत उर आने ॥
जद विहगराज तिन जाये । अवधि पुरी नृप सात चताये॥
कररता
१--नगारे = डका । २--माये = प्रख्यात इए ।
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