प्राथमिकशाला शिक्षक के लिए मनोविज्ञान | Prathmikshala Shikshak Ke Liye Manovigyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Prathmikshala Shikshak Ke Liye Manovigyan by यू. प्रभाकर राव - U . Prabhakar Rav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about यू. प्रभाकर राव - U . Prabhakar Rav

Add Infomation About. U . Prabhakar Rav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
4 प्राथमिकशाला शिक्षक के लिपु मनोविज्ञान पर प्रकाश डालता है। बच्चो का अध्ययन, जैसा अकसर होता है, केवल एक प्रतिवेदन तैयार करने के लिए नहीं होना चाहिए। व्यवहार को हम ऐसी श्रेणियों में बांट नहीं सकते जैसे “अच्छा” और “बुरा”, “अनुरूप” और “प्रतिकूल, इत्यादि | व्यवहार के अर्थ हैं बच्चे की वे अनुक्रियाएं और प्रतिक्रियाएं जो उस परिस्थिति में होती हैं जिनमें बच्चा अपने की पाता है। बच्चे के व्यवहार को हम अलग करके एकाकी रूप में नहीं देख सकते | इसे तो हमें उस पर्यावरण से संबंधित करके देखना होगा जिसमें बच्चा जी रहा है । हमारा उद्देश्य यह होना चाहिए कि जो अपेक्षाएं उससे की जा रही हैं उनका वह सामना किस प्रकार कर रहा है, और किस प्रकार पयर्धिरण से समंजित करने में हम उसकी मदद कर सकते हैं जिससे वह अपनी अन्तर्निहित संभावनाओं का पूर्णलपेण विकास कर सके। व्यवहार परिवर्तन में मनोविज्ञान सहायक होता है शिक्षक को याद रखना चाहिए कि बच्चों के व्यवहार का अवलोकन करने में उसका सर्वप्रथम कर्तव्य बच्चे की मदद करना है। उसे उन छात्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए जिनका विकास सही ढंग से नहीं हो रहा है । शिक्षक का कर्तव्य है कि बच्चों के समुचित विकास के लिए स्कूल में उचित पर्यावरण और पर्याप्त अवसर प्रदान करे | मोहन और सुनील का दृष्टान्त लीजिए । मोहन तेज लड़का है और अन्य बच्चों के प्रति वह बहुत संवेदनशील है और समझदारी का व्यवहार करता है। पढ़ाई में जब कमजोर बच्चै मदद मांगते है वह उनकी सहायता करता है । उसके सहपाठी ही नहीं बल्कि बड़ बच्चे और शिक्षक भी उसकी सराहना करते हैं । इसके विपरीत सुनील एक लड़ाकू लड़का है और अपना बहुत सा समय अन्य बच्चों को चिढ़ाने और उन पर अपना रोब जमाने में लगाता है। इसके कारण वह अकेला रह जाता है क्योंकि कोई भी बच्चा दूसरे का रोब जमाना पसन्द नहीं करता। कक्षा में और कक्षा के बाहर भी, अन्य बच्चे उसके साथ से कतराते है । इसके कारण उसकी लड़ने की प्रवृत्ति ओर भी अधिक भडकती है । यदि मुनील अपने व्यवहार में परिवर्तन करे और दूसरों को छेड़ना या उन पर रोब जमाना छोड़ दे, वह अपना समय जन्य उपयोगी कार्यों में लया सकता है। . मोहन के लिए शिक्षक को केवल यह देखना है कि एसका विकास भती प्रकार हो रहा है और उसको ऐसा कार्य दिया जाए जिसमें वह अपनी क्षमताओं का समुचित उपयोग कर सके । किन्तु सुनील के लिए शिक्षक को अधिक सक्रिय भूमिका का निर्वाह करना पड़ेगा जिससे वह सुनील क॑ व्यवहार परिवर्तन में मदद कर सके | शिक्षक सुनील के व्यवहार का विश्लेषण करके पता लगा सकता है कि जिस प्रकार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now