जीवन और रचना | Jeevan Aur Rachna

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Jeevan Aur Rachna by सुरेन्द्र सिंह जौहर - Surendra Singh Jauhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 प्रिंस द्वारिकानाथ क जन्म संत १७९४ मे श्रा । हू श्रभी केंवल १३ वंष के ही थे कि उनके पिता का देहान्त॑ हो. ....राजकमार बनना चाहते थे, लोगों पर शासन करना चाहते . थे। घन कमाकर एहव्थ॑शाली जीवन व्यतीत करने की उन कौ बड़ी उत्कट लालसाथी। वह वास्तविक राजकुमार तो ` नवबन सके, परन्तु “प्रिस' श्रवश्य बन गये। इंगर्लंडमे लोग उन्हें प्रस्त कह कर पुकारते थे, क्योंकि उनके वेभवशाली जीवन से भंग्रज बहुत प्रभावित थे । उनके पास श्रपरिमित घन था । वंह घ्रपने युग के गिने चने बड़े व्यवसायियों में. से थे. । उनके पास हजारो एकड़ जमीन, कई. कारखाने, . कई जहाज थे। चीनी एवं चाय का व्यापार चलता था । वहं | ५ एण्ड कम्पनी के अघीन चलता था | का भरपूर श्रातिथ्य होता श्रौर उनको खूब, श्राव-भगत होती । उनका जीवन कुछ निराला था । घरमे वह सादगी धर्मात्मा का निवास-स्थान हो । परन्तु बाह्य जीवन और जहां मित्रों, भेंट मुलाकात को श्राए श्रतिथियों आर सरकारी ६. गया } द्वारिकानाथ बडी निराली प्रकृति के स्वामीये। ऊंचे ` 4 लम्बे बलिष्ठ जवान, परिश्रमी एवं मौजी स्वभाव--वहुएक ` पहले भारतीय थे जिन्होंने प्रथम भारतीय वेक यूनियन बेंक' ` ( की हा की थी । उनका यह्‌ सार व्यवसाय *कार टेगोर । | ः | ५ प्रिस द्वारिकानाथ मुक्त हृदय से खच करते थे । भ्रतिथियों के प्रतोक ये, उच्च एवं शादर्शमय जीवन, समि-सकारे देवी-देवताश्रों की पूजा, सीतरके कमरों का दुष्यजं्ेक्िसो हुन-सहन का ढंग बिल्कुल भिन्न - बड़े-बड़े सुसज्जित हाल. 0 4




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