जीवन और रचना | Jeevan Aur Rachna
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
118 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सुरेन्द्र सिंह जौहर - Surendra Singh Jauhar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 प्रिंस द्वारिकानाथ क जन्म संत १७९४ मे श्रा । हू
श्रभी केंवल १३ वंष के ही थे कि उनके पिता का देहान्त॑ हो.
....राजकमार बनना चाहते थे, लोगों पर शासन करना चाहते .
थे। घन कमाकर एहव्थ॑शाली जीवन व्यतीत करने की उन
कौ बड़ी उत्कट लालसाथी। वह वास्तविक राजकुमार तो `
नवबन सके, परन्तु “प्रिस' श्रवश्य बन गये। इंगर्लंडमे लोग
उन्हें प्रस्त कह कर पुकारते थे, क्योंकि उनके वेभवशाली
जीवन से भंग्रज बहुत प्रभावित थे । उनके पास श्रपरिमित
घन था । वंह घ्रपने युग के गिने चने बड़े व्यवसायियों में.
से थे. । उनके पास हजारो एकड़ जमीन, कई. कारखाने,
. कई जहाज थे। चीनी एवं चाय का व्यापार चलता था । वहं
| ५ एण्ड कम्पनी के अघीन चलता था |
का भरपूर श्रातिथ्य होता श्रौर उनको खूब, श्राव-भगत
होती । उनका जीवन कुछ निराला था । घरमे वह सादगी
धर्मात्मा का निवास-स्थान हो । परन्तु बाह्य जीवन और
जहां मित्रों, भेंट मुलाकात को श्राए श्रतिथियों आर सरकारी
६. गया } द्वारिकानाथ बडी निराली प्रकृति के स्वामीये। ऊंचे ` 4
लम्बे बलिष्ठ जवान, परिश्रमी एवं मौजी स्वभाव--वहुएक
` पहले भारतीय थे जिन्होंने प्रथम भारतीय वेक यूनियन बेंक' `
( की हा की थी । उनका यह् सार व्यवसाय *कार टेगोर । | ः | ५
प्रिस द्वारिकानाथ मुक्त हृदय से खच करते थे । भ्रतिथियों
के प्रतोक ये, उच्च एवं शादर्शमय जीवन, समि-सकारे
देवी-देवताश्रों की पूजा, सीतरके कमरों का दुष्यजं्ेक्िसो
हुन-सहन का ढंग बिल्कुल भिन्न - बड़े-बड़े सुसज्जित हाल. 0 4
User Reviews
No Reviews | Add Yours...