तत्वनिर्णयप्रसाद | Tatvaniranyaprasad
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57 MB
कुल पष्ठ :
860
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)७9
॥ ७ ॥
प्रसिद्धकरत्ताकी प्रस्तावना.
इस स्ठिमि भाणीमात्रको धमेका शरण है. जेस स्मि हरेक भकारकी करियाका वेधनं
स्वभाव है, वेते जन्परस मरणं पर्यंत धमे भाणीमाजका सर्वधी है. परंतु धमेके देन, ध्वी
शाखाय इतना सारी हो गह ह, कि सत्य धमस दृसरेको पिदानना एक कठिन सवार है.
सव अपने २ धमकी तारीफ कर रहे है, कोई पनजन्पको मानता ३, कोई नरीं मानता, कोई
पाप पुण्य कबूल करता हे, कोई प्रकातिके शिवाय सब वारतोका निषेध करता हैं. ऐसे अनेक
प्रकारके धमेकों देखके जिज्ञासुकों विश्रमता होती है, कि किसको सच्चा आर क्रिसको
ज्डा माने
सर्वं द्रीनके स्वरूपको विस्तारपवक देखा जाय तो जिसका त्वज्ञान, निष्कलंक शंका
रहित ओर सभथा मानने योग्यै वैसा दरीन केव एक जिंनंदशंन हे, नेनमतके चयि
फितनेक ईग्रेनी शिक्षण पाये हये ( नईं चमक्वाङे ) आदमीने बहोत गोता खाया हं. भाय
अंग्रेजी ऐतिहासीकोन ओर आधनिक पंडिताभासोंने कई कट्पना करके जनधमको बद्धक
शाखाः वताई है; जर एकं नंवादी धर्म बताया हे. और अंजितनायें धमेनाथ ओ तीर्यकरों के
नामि भरैदरसकि सपयकेः मच्छैदरनाथ, गोरखनाथ जेसें नाथकुछके बंतलाकर भंतृहरिक
समयते लैनधर्मं चखा भी कह देते है. प्रतु कितनेक वडे पांश्राय विद्रानानें
परिश्रम करके ऐतिहासिक पुरावे इकड़े करके लैनधमेको बहुत पुराना धर्म सबूत या है
( देखो इस प्रथका पृष्ठ ५३५-५४० ).
डा मेषस् मुखर इस जमानेमें भार्यविद्याके एक बडे पंडित गिने जति द
उन्होंने कहा है कि सारी दुनियाके पुस्तकोंपें सात पुस्तक श्रेष्ठ हं. उसमे दूसर नवरम जनका
कलपसूत्र पुस्तक रखा है, और पहेले नवरमें बाइंवलको रखा है. धर्माधपणाक वश होकर बाई-
बलकों प्रथम पंक्तिमं रखा होगा» धर्मेकी परीक्षा, न्यायदृष्टीसं होनी चाहिये; अगर इस
दृष्टिस भट्ट मक्स मुखर देखते तो कट्पसूत्रकों अवश्य' मथम पंक्तिमं रखते. यह कलपसूत्
-नेरनोका एक पुराना ग्रंथ हे, पिरे यह रीवाज था कि सूज युखपाठ रखत य. भा महावीर स्वामिक
पाटधारी श्री भद्रबाहुस्वामी चतुदेशपूवेके पाठे वगरदनं [नियमाका अनुक्रम किया. बाद
देवद्वीगणिक्षपाभ्नमणने पुस्तकके आंकारमे लिंखें. परंतु जनधमका इतिहास नहीं न [नने
वाले जैनपस्तकको शआीभद्रवाहखोमी वा देवट्टीगर्णिक्षमाश्रमंणका बनाया हुवा लिखकर
लेनधमे थोर कोलेसें चला है; ऐसी विश्रमता करे उसमें क्या आश्चयं ह ¦ धमके नियम
अनादि ई; सूर्नोकी रचना तीयैकरोके वसते हुई ह
| सधनिक समयक कितेनेक पाथिमादय विद्रानान यह जाए्हर फिया हे कि वेदधमे भाचीन
यामे है. से, वीं २००० सें ठेके ५७००० भपेतकका है वादे कतं है कि वीद्धधम ई. सर.
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