स्त्री सुविचार माला | Stri Suvichar Mala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~~ == (नीम मीम 11111111, 11 1,111.11 111. 1१171
हदयकमी करना रै यह उनका कथन अविचार
युक्र है क्योकि गृह संसार भी एक प्रकार
का राज्य दही है जिसकी स॒व्यवस्था रखने
के का ही गृहिणी गदृखामिनी इत्यादि
प
पूव की सियो के कथन सुनते र तो
हरएक के साथ ६४ कला की जाएकार का
विशेषण दिखाई देता है. जिसमें अनेक प्रकार
की विद्या है इसपर से सिद्ध होता हैं कि
पूवी सिय विद्याभ्यास करती थी वास्ते
तुमको भी चाहिये कि ज्यादा नहीं बने तो भी
(क) सामान्य तोर से लिखना और पढ़ना
अच्छी तरह कर सके इतना तो अभ्यास
अवश्य करो
(ख) नीति के अनेक ग्रन्थ विद्वानोंके रचे हुवे
हैं उनको भी पढ़ना जरूरी है जिससे
अनेक प्रकार के अन॒भव मिले, दगणं
दूर हो भ्रोर धर्म कम तरफ प्रीति बढ़े
(ग) आजकल बहुत पुस्तकें ऐसी प्रचलित
होगड हैं जिनके पढ़ने से उद्धता प्राप्त
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