मदनरेषा नमीराज नाटक | Madanraisha Namiraj Natak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८
एक्ट १ ( ए)
१.
१५
दासा का जवाव-चाल- नम्बर ( ११)
महल में जाके यह जब तोफा दिखाया उसको ।
प्रोर जो हुक्म था महाराज सुनाया उसको ॥ १ ॥
करके ताजीम सुना सरखमे तस्लीम किया । `
पके तोफे ने ममनून. बनाया उसको ॥ २॥
प्रपनी जानिब से नमस्कार कदी है तुमको ।
कोई सेवा हो अगर कदे कृपाया उसको ॥ ३ ॥
दासा का जाना |
१६
राजा मनिरथ--स्वयसू (वारतालि।प)
दासी की बात से तो ऐसा प्रतीत होता है कि मदनरेषा
भी मुभसे प्रेम रखती है। अब मुभे चल कर मदनरेषा
से अपनी मुहब्बत को जाहिर करना चाहिये ।
राजा का रवाना होना
अर ९६६९६: १६९९ ९८९६९
सीन ५
८9) 9) 929
भद्नरषा # नदहल क पर्दा
१५७
पदनरेषा का बेटे हये नज़र झ्ाना शोर राजा पनिरथ का थाना भोर
पुहव्चत का इजहार करना |
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