मदनरेषा नमीराज नाटक | Madanraisha Namiraj Natak

Madanraisha Namiraj Natak by मनशाराम - Manasharam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८ एक्ट १ ( ए) १. १५ दासा का जवाव-चाल- नम्बर ( ११) महल में जाके यह जब तोफा दिखाया उसको । प्रोर जो हुक्म था महाराज सुनाया उसको ॥ १ ॥ करके ताजीम सुना सरखमे तस्लीम किया । ` पके तोफे ने ममनून. बनाया उसको ॥ २॥ प्रपनी जानिब से नमस्कार कदी है तुमको । कोई सेवा हो अगर कदे कृपाया उसको ॥ ३ ॥ दासा का जाना | १६ राजा मनिरथ--स्वयसू (वारतालि।प) दासी की बात से तो ऐसा प्रतीत होता है कि मदनरेषा भी मुभसे प्रेम रखती है। अब मुभे चल कर मदनरेषा से अपनी मुहब्बत को जाहिर करना चाहिये । राजा का रवाना होना अर ९६६९६: १६९९ ९८९६९ सीन ५ ८9) 9) 929 भद्नरषा # नदहल क पर्दा १५७ पदनरेषा का बेटे हये नज़र झ्ाना शोर राजा पनिरथ का थाना भोर पुहव्चत का इजहार करना | ०९८००१९८ १९ १९९1999 99८6 >> के 4 (९८४८५८५ ६.9 तात >{>६ > > ८८०६२९५१




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