देव द्रव्य निर्णय [खंड 1] | Dev Drivya Nirnaya [Khand 1]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७
“क सच्ची सुमते देवरं ते वगर व्रिख॑व. सालं करन का सकार करिषे,.
इस न्याय मार्ग को छोडकर अन्य वाते की आड छेकर अपनी. झूठी
वातका बचाव करना चाहते हो सो कभी न हो सकेगा, आपने नवीन
, प्ररूपणा करके जैन समाज में केश फैलाया है, और शासन को बडी
-भारी हानी पहुंचने का कारण किया है. इसलिये या तो शाल्लाथैका
स्वीकार करिये या अपनी प्ररूपणा को पीछी खीचकर जेन समाजसे
;मिच्छमि दुकडं देकर इस परिषय संवेधी हेरा को इतनेसेही समाप्त क्रिये.
५ . सलयग्रहण करनेकी और श्ूठका मिच्छामि दुक्रडं देने जितनी
भी आपकी आत्मामें निर्मठता अभीतक नहीं हुई है, इसलिये आपको
यह बात बहुत बार ढिखंने परभी आपने अभीतक इस वातको स्वीकार
नही किया अर मुख्य वातको उडानेके चयि व्यर्थं अन्य अन्य वते छ्खि
झाल्लाय से पीछे हटते हैं. न संघ वीचमें पढे और न. हमारी
बात खुले › ऐसी चाठवाजीमें कुछ सार नहीं है. यदि आपकी आत्मा
निर्मठ हो तो, जैसे आप अन्य जाहिर सभा भरते हैं, उसमें .यहां का संघ
आंता है, वैसेद्दी इस शास्राथकी भी जाहिरसभा भरनेका दिवस वतमान-
पर्रम जाहिर कयि, उसमे यहां का यै! अन्यत्र कामी बहत संघु समामे
, अविगा. व्यर्थ संघक्ी जाडं टेकर यान्न से पीछे क्यों ंत्त.हो ?'
मा मैं इन्दोर की राज्यसभागि शाख्राप करने को तया हूं
“यह बात आपने मरे कौनसे पत्र ऊपरसे लिखी है, उसकी नकल भेजिये,
. नहीं. तो झूठ का मिच्छामि दुकड दीजिये,
| ७ . अपन-लेनपत्रमे ^ मनिसागर नापत्रो श म्म पडे
के ते शास््राथ करे तेम॑ जणातुं नथी.” मेरे दिये. ऐसा छपवाया है.
' आाखार्थ करना नहीं चाहता हूं: उन पत्रोंकी नकल भेंजिये, अंगर तो तीन
सज में छपबाकर जाहिर -कॉरिये, नहीं तो झूठ उपवने का मिच्छामि
` वृक्तडं दीजिये, `
छे
में
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