गीत पुस्तक अर्हत मसीही गीत और भजन अराधना के लिए | Geet Pustak Arthat Masihi Geet Or Bhajan Aaradhana Ke Liye

Geet Pustak Arthat Masihi Geet Or Bhajan Aaradhana Ke Liye by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साष्टि ध्योर भवन्ध मे ईश्वरीय महिमा. € जो पोः भोका चना केः वो चा = ०० १३. (१४) 1- + 128. 56: 6.5. जाप (£ 2 < णं १ तेरी युज्ञगीं रसदा इन्सान हेवान की जरूयत (र ५५ ध्रासमान जमीन पर हे सदा त्‌ वलूशा करता व-इ्फरात ए तेय सदाक्त इं कमाल क ४ शौर तेरे रहम का जमाल धमार तये रहमत पुर-जलाल। है ्रादभि्यो पर वे-मिसाल 9 २ यर-हक्क तेरी सदाक्रत भी वे तुम से पाते हैँ पनाह पहाड़ के मानिन्द रहेगी तू उन पर रखता हे निगाह । प्ण घोर घ्ाती नहीं समस में तेरे क ¢ 9, छीर तेरे तं पे घ्मीक भदालतें । ५५ 8 ¢ धर की वाते पाक | हैं मेरे दिल की सास खुराक: गभर 2 शरजीव ह तेया इन्तिज्ञाम वह मेरे लिये क्या लङ्ञीज्ञ परवरदिगारः दै तेरा नाम शरोर रहमत तेरी क्या ज्ज्ञ! 2. 457, 4 ४ (१५) 1 8. 98 2.6. पतात 2. 25. श १ प्रव नये गीत रुदावन्द के २जो चद्यद्‌ः किया अगलों से तुम गाश्रो श्नुश्च भ्ावाज़ो से सो वफ़ा किया खाविन्द्‌ ने कि उस ने किर ्रजायव वात सारी जमीन के ता कनार श्रौग- जाहिर किर शरङ्धीम नजात| नजात इदा की हे भ्राशकार 1 ही पहिलें यहद्‌ के द्रमियान | / ४ पस खुश हो सारी सरजमीन * उस ने दिखाई अपनी शान चजा खुश होके चरवत बीन फिर उम्मतों पर ज्ञाहिर हो बुलन्द ्रावाजञ. से मदद गा ` दिखलाया श्पनी रमत को॥ गा नया गीत ख़ुदावन्द का ।




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