अन्गादार्श | Angadarsh

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Angadarsh by बाबूरंगनारायण पाल - Baburangnarayan Pal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लि विवि. अत ( १४ ) | च्यों उड शंकल रंगजपाल सभा बिजरी पर आ | निकखो है ॥ ३८ ॥ पृष्ठ बणन सवेया । |... सोवत आजु सखी सुख सेज अनोखो लखी ' अरी प्यारी कि पृष्टि है । चारु महाचिलकारों | अनूप सचिक्कन सोहै लपेंटति दृष्टि है ॥ रंगजू | पाल सनोहरता सुकमारता सुन्दरताई कि सखष्टि है । डाठक पड़िका कौ उपमा नि शोभ लहैं कदलोदल लष्टि है ॥ ४० ॥ कराठ बखणन कबित्त | |. देखि बर कंठहि कपोत कॉहखाई करे बारि- निधि बूड़े कम्ब हिय लाज आइे हैं । सन हरि लौनो है सुभायन गोविन्द जू को जामें पीक लौक ठीक परति दिखा है ॥ रंगपाल भने | स्वच्छ रेख चय अनूप राजे आय के अरी ज्यों | तीन लोक की निकाई है । स्थाम खेत अरुण मणिन के विभुषण त्यों मानो राग रागिनौ स | राग छबि छा हैं ॥ ४० ॥.. ही इक ही




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