श्रीकृष्णा-चरित्र | Shree Krishna-Charitra

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Shree Krishna-Charitra  by लाला लाजपत राय - Lala Lajpat Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नन्व (८ १३2 : विशेष मरुडली का यही कायंथा कि वह राजाओं शऔर महाराजाओं के दुस्वार सेँ प्राचीन कथाओ को सुनाया करे । ब्राह्मण रामायण उपनिपदु महाभारत श्रौर पौरो णिककाल . के साहित्य जैसे प्राचीन ग्रन्थों में इस विपय क शनेकानेक ; प्रमाण उपस्थित हैं । वैद्कि साहित्य में जहाँ जहाँ मिन्न २ , विचारो ओर शाख्रौ का वरन किया गया है वहं २ पुराण : तथा इतिहास के शब्द म्रिलते हैं। इससे यह सिद्ध है कि : उस समय मे पुरा श्रौर इतिहास एक परथ २ साहित्य , के नाम थे जिसे शाज कल ऐतिहासिक साहित्य कहते हैं। | प्रमाणार्थ यहा दम कु उद्धूत करते हं ! छन्दोग्य उपनिषद्‌ म, जो दश उपनिषदो के अन्तग॑त है श्रौर जिसको श्रो स्वामी शेकराचायं चं शरी स्वामी दयानन्द सरस्वती तथा श्रन्य विद्वानों ने श्रत्यन्त पराचीन माना दहै, एक स्थान पर भिन्न २ घिद्या का चर्णन करते हुए इस प्रकार लिखा है । सहोवाच । ऋग्वेदं ! भगवो5घ्येमि यजुबंदं सामवेदमा- थवणंश्चतुथं मितिहासं पुराणं च पञ्चमम्‌ । ( १ > शर्थात्‌ सगचन्‌ ¡ ग्‌ यजुःसाम श्रौर श्रथव को जनता ह शौर श्सके अतिरिक्त इतिहास श्रौर पुराण से भी झमिक्ष हूँ । ८८२.) एक स्थान पर शतपथ व्राह्मर म ( १४-६-१०६ ० का गया है-




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