जातियों को सन्देश | Jatiyon Ko Sandesh
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७ कलकी वास्तविकतारं
सम्भव है कि जिस समय यह बंद हो, उस समय किसीको पता
भी न चले कि ऐसा क्यों और केसे हु । यदि एक राजकुमारकी
मृत्यु इस मददायुद्धका आरम्भ करनेके लिये पर्याप्त थी, तो क्या
श्राश्चय करि कोड न कोई घटना इसकी एक ऐसे दिन इति भो करा
दे जिस दिन इसकी समापिकी तनिक भी 'ाशा न हो |
यह भी सम्भावना दै कि यह युद्ध किसी प्रकार न थमे, जैसा कि
कमसे कम साधारणतः सममा जाता है। और इसके पहले जो कुछ
नाममात्रके लिए शान्ति थी, उसके स्थानमें भविष्यमें सब जगह
एक ऐसी स्थायी नौर किसी न किसी 'संशमें एक प्रभाव-शालिनी
युद्ध-प्रचुर स्थिति खड़ी हो जाय जैसी कि लड़नेवाली जातियोंने
श्रभीसेकर दी है। और इस समय जो 'न्तरी््रीय भयंकर
संग्राम या खिति प्रादुभूत हो गई है, उसको कौन नहीं जानता !
कुछ भी दो, इसमें सन्दद्द नहदों कि जैसा झन्त और संग्रामोंका
हुआ करता है, वैसा झन्त इस संग्रामका नहीं दोगा। जो 'झाघुनिक
व्यवस्था है, उसीका अन्त इस संग्रामका अन्त होगा । इसमें बाल
चरावर भी श्चन्तर नहीं पड़ सकता । जव तक केवल इस स्ाथं-
पूणे व्यबस्थाका ही नहीं, बल्कि इस वातकी संभावनाका भी छत न
हो जायगा कि कहीं भविष्यमें इस व्यवस्थाके मुर्देमें फिर भी प्राण
था जायें, तच तक यह हलचल अपने अन्तको नहीं प्रैव
सकती ।
मदुष्यमें पागलपन जितना शीघ्रतर भाता है, उतना शीध्रतर
हूः ऽसमेसे जाता नदीं है । वद छण भरमे पागल दो सकता है;
' उसके श्रच्डे नेमे बरसों लगते हैं । भाग्यने उन जातियोंमें,
द फरनेके लिए लालायित हो रषी थी, पागलपनका भूत भर
परोकि वह् योरपकी जातियोका नाश करना चाहता था ।
जातियों अ उनके साथ चलना चाइती हैं, उनके सिर
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