चिकागो प्रश्नोत्तर | Chikago Prashnottar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिकागी प्रश्नोत्तर ३
5०-इंश्वरके अस्तित्वमें यह. प्रमाण है, कि जो इस जगतमें
ठयुपत्तिवाखा शरु्धपद, अर्थात् समास रहित अर्थवाला एक पद
हू तिसका वाच्य अथ अवश्यमेव अस्तिरूप है जेंसे घट, पट; जीव
_ घ्म, पुण्य, पाप, मोक्ष, आत्मा, संसारादि ओर जो जा दो. पद
अर्थात् समासांतपदे हैं उनका वाच्याथ अस्तिरूप होवे भी और ना
भी हतर, जेसे गोश्रुंग, महिषश्वंग, राजपुत्र, इत्यादि दो परदोका
वाच्याथं अस्तिरूप ह, ओर शसश्चंग, अर्वश्चंग, नरश्वंग, बंध्यापत्र
इत्यादि पदोका वाच्याधं नॉस्तिरूप है, इंश्वर जो पद हे
सो शुद्ध एकपद है इसवास्ते ईदवर पद़का वाच्याथ इश्वरमी अब
यमेष अस्तिरूप है, तथा चागमः-ईद्वर इति पदं सत् व्रियमानं
कस्मात् शुद्धपदखात् एक पदत्वादिय्थः परं ख कूसुमवदाकाश्च
कुसुमवदसद् विद्यमानं न अयं भावः समस्मटोके यस्ययस्य पदां
स्यैकपदं नाम् मवति स पदाथीस्स्यव यथा घट पट छकूटादिः एवसी-
श्वरस्यापि ईदृवर इति एक पदं नाम अतः कारणादीशवरो स्स्येव
न पनराकाश कर्समब्रन्नास्ति: यत आकाश कृसुमस्येक पदं नाम
नास्ति फित द्विपदं नामास्ति यद्यत द्विपद नामवस्त भवति तत्तदे
काति न विद्यमानं न भवति किंतु फिचिद् गश्रंग महिषश्वुमादिव-
दियमानमस्ति किचिदयनः खरशरुंग तुराभश्रुगाकाशकुसुमादिवद
विधमानं तत इश्वरईति पदमेकपदखादस्त्यवत्यनुमानप्रमाणनेर्वर
सन्ता स्थापिता ॥
तथान्यत्रापि-इदवरसिद्धषिषोपपत्यनतरमाह-ङढवर इष्ये तद
चनं सार्थकमिति प्रतिन्ञा श्युयत्तिमख सति शुदधपदलादिहयदनु-
दत्तिमखे शुद्धपदं तदथ इष्टं यथा घटादिकं तथा चेव पदं
तस्मारसा्थकं यत्तु सार्थकं न भवति तद्वच् सत्तिमच्दधपदं च ने
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