हरिशंकर परसाई का यथार्थवाद | Harisanker Parsai Ka Yadharthvadh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Harisanker Parsai Ka Yadharthvadh by जी. लाल - G. Lal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जी. लाल - G. Lal

Add Infomation About. G. Lal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लिये गहरा, अधिक कलात्मक और अधिंक विश्वसनीय हो उठता ..... के घनी है। कोई भी बात उनकी घूमा-फिरा कर बताने की नहीं होती | ही हर कै 'रानी नागफनी की कहानी ' फेंटोनी के बावजूद समकालीन भारतीय जीवन हर जीकेकथा- साहित्य का कितना युगांतरकारी महत्व है, इस वात का पता इस तथ्य की से चलता है कि 'नयी कहानी' धारा के दोनों चोटी के कहानीकारों, भीष्म साहनी. न . और अमरकान्त की सफलता का रहस्य भी बहुत कुछ व्यंग्य ही है । व्यंग्य भी और उनकी उन्मुखता ही उन्हें उनके आरंभिक आदर्शवाद और रुमानियत से क्रमश : दे न ० मुक्त करती जाती है। की लक डे दे परसाई जी ने व्यंग्य को अधिक सामान्य भाषा में समाज के सामने रखा है, . डी थे और यादें उसे उदाहरण के माध्यम से भी समझाया है। समाज की दु कुरीतियों ः है ..भी पी उन्होंने अपने भावों से सुसज्जित किया है । परसाई जी के कथा-साहित्य ः समकालीन सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परिदृश्य में एक ... नैतिक और रचनात्मक हस्तक्षेप है । कक भाषा व शैली में ओज व निमौकता होने : गा .. के कारण हमारे कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति सहानुभूति भी मिलती है। आज उनकी. ं गा यही प्रवृति हमारी पथ-प्रदर्शक बन गयी है. । समसामयिक घटनाक्रमों में परसाई . ने अपने समाज को नयी राह दिखाने की कोशिश की है|




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now