हरिशंकर परसाई का यथार्थवाद | Harisanker Parsai Ka Yadharthvadh
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
166.27 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लिये गहरा, अधिक कलात्मक और अधिंक विश्वसनीय हो उठता
..... के घनी है। कोई भी बात उनकी घूमा-फिरा कर बताने की नहीं होती | ही हर कै
'रानी नागफनी की कहानी ' फेंटोनी के बावजूद समकालीन भारतीय जीवन
हर जीकेकथा- साहित्य का कितना युगांतरकारी महत्व है, इस वात का पता इस तथ्य की
से चलता है कि 'नयी कहानी' धारा के दोनों चोटी के कहानीकारों, भीष्म साहनी.
न . और अमरकान्त की सफलता का रहस्य भी बहुत कुछ व्यंग्य ही है । व्यंग्य भी और
उनकी उन्मुखता ही उन्हें उनके आरंभिक आदर्शवाद और रुमानियत से क्रमश : दे न
० मुक्त करती जाती है। की लक डे दे
परसाई जी ने व्यंग्य को अधिक सामान्य भाषा में समाज के सामने रखा है, .
डी थे और यादें उसे उदाहरण के माध्यम से भी समझाया है। समाज की दु कुरीतियों ः
है ..भी पी उन्होंने अपने भावों से सुसज्जित किया है । परसाई जी के कथा-साहित्य ः
समकालीन सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक परिदृश्य में एक
... नैतिक और रचनात्मक हस्तक्षेप है । कक भाषा व शैली में ओज व निमौकता होने : गा
.. के कारण हमारे कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति सहानुभूति भी मिलती है। आज उनकी.
ं गा यही प्रवृति हमारी पथ-प्रदर्शक बन गयी है. । समसामयिक घटनाक्रमों में परसाई .
ने अपने समाज को नयी राह दिखाने की कोशिश की है|
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