भारतीय स्त्रीयों की योग्यता प्रथम भाग | Bharatiy striyon Ki Yogyata Bhag EK
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्च्यात्म झान शार चिट्त्ता ९३
वलि दो जाती थी | इस कर व्यवहार से जनता ऊब गयी थी
घास की झार से लेग घूणा करने हग गये थे। इस का फलस्वरूप
सौद्ध-घर्म को सुष्टि हुई। बॉद्ध-धर्म ने हिन्दू सम्यता पर झाक्रमण
किया, हिन्दुओं के मूलशवेस्थ चेदों की झचरेला की । वर्याश्रिस-
मे को मर्यादा सपट-घ्रष हनि लभी, उस समय झुमारिलम् उत्पन्न
हप शरोर इन्दौ ने पनः कमंकारड की स्यापना करने का प्रयत
किया । कुमारिलभट्ट बहुत बढ़े चिद्ान थे; उन्दों ने शास्राथ में
सनेक बीद्ध बिद्धानों को परास्त किया । विश्वरूप के समान मकारदड
विद्वान तैयार किये । दघर मध्य-मारत से यह प्रयल्न हो रहा था,
तेर उधम दक्षिण-भारत में शुट्धरावतार भगवान् शहूरायाय उप+
निषध धभ के परार के लिए अयल कर रहें थे। भगवान् शहूरा-
चायं केवल कमे कारड कौ स्थापना करना नहीं बाइते थे । ज्ञान
को प्रधानता देकर कर्स और उपासभा का प्रचार करना इस का
उद्य था, इन के सिद्धान्त लेग पसन्द् करने लगे! ये दल्तिणा
से प्रचार करते हुए मयाग पु से; प्रयाग में कुमारिल मइ से इन की
मुलाकात हुई । कुमारिलभद्ध ने इन को सम्मति दो छिश्रार
माहिप्सती निवासी विश्वरूप को साथ लेकर प्रयत्न कोजिए, घह
बड़ा चिद्धान् है, उख कौ सदायता से अप के सिद्धान्तों का प्रचार
शासानी से दे? खकेंगा!
शकूरायार्य प्रयाम से सादिप्सती नगरी को गये, जा नर्मदा के
तीर पर बसी थी । नगरी में छुसते दो विश्वरूप के यहीं को पति-
हारियों से शाच्यार्य की बालें हुई, उन की विदत्ता देख कर श्राचाये
को शाखय दुरं ! वे विश्वरूप के घर पडंचे। मध्याइ का समय
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