मजदूरी नीति एवं सामाजिक सुरक्षा | Labour Policy & Social Security

Labour Policy & Social Security by सी. एम. चौधरी - C. M. Chaudhary

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सी. एम. चौधरी - C. M. Chaudhary

Add Infomation AboutC. M. Chaudhary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रम-बाजार की विशेषताएं, श्रम की माँग एवं पूर्ति 5 नहीं कर सकते, लेकिन श्रम बिना धन्य साधनों की सहायता से भी उत्पादन कर सकता है 1 2. श्रम को श्रमिक से प्रयक्‌ नहीं किया जा सकता (1.80007 बेड उत564- शीट दिएए पीर .वकपाला } उत्पादन कै भ्रन्व स्वर्गो को उनके स्वामियो से पृथक्‌ क्रिया जा सकता है, जैये भूमि कौ भू-स्वामी तवा पूजी को पूजीपति से पुयक्‌ किया जा सकता है, लेकिन श्रम को श्रमिक समे पृथक्‌ नही किया जा सकता! यदि एक श्रमिक श्मपना श्रम वेचना चाहता है तो उसे स्वय को जाकर कायं करना पड़ेगा । 3. श्रमिक श्रम देचता है लेकिन सवपं का. मालिक होता है (1:2000767 56115 15 19 एप ९ फएरटॉ 15 ४5 ३६१८८} --श्रत्निक श्रषन! श्रमं चेचत्ता है) वहं श्रपनेको नहीं वेचता त्तया जो भी गुण व कुशलता उसमे होते है, उनका वह मालिक होता है । श्रम पर क्रिया गया विनियोग [प्रशिक्षण व दक्षता) इस हप्टि से महत्त्वपूर्ण होता है । 4, श्रम नाशवास है ({1.व०णः 15 एलका )--क्रम ही एक टसा साधन है जिसका संचय नहीं किया. जा सकता । यदि एक श्रमिक एक दिन कायं नहीं करता है तो उसका उस दित का श्रम सदेव के लिए चला जाता है । इसी कारणा श्रमिक झपना श्रम बेचने के लिए तंयार रहता है । 5. श्रमिक की सोदाकारी शक्ति दुर्वेल (षण्णा ॥25 ६०1 पश्र एष्यम्‌ ए०त्९त} श्रमिक भपना श्रम बेचता है तथा श्रम के क्रेता पूँजीपति होते हूँ । मालिकों की तुलना में श्रमिकों की सौदा करने की शक्ति कमजोर होती है क्योकि श्रम कौ प्रकृति नाशवान दै, वह प्रतीक्षा नही कर सकता, वह्‌ प्राधिक डृष्टि से दुर्बल होता है, वह अज्ञानी, झशिक्षित व झतुभवहीन होता है । श्रम संगठन दुर्बल होते हैं, बेरोजगारी पाई जाती है । इन्ही बातों के कारण श्रमिकों को निम्न मजदूरी देकर पूंजीपति उनका शोषण करते हैं { 6, थम की पूर्ति में चुरन्त कमी करना सम्भव नहीं (5ए991% ०७1 12000 2४00६ ए९ धणाभ रह उफाश्त ९४ )--मजदूरी में कितनी ही कमी क्योन करदी जाए श्रम की पूति तुरन्त घटायी नहीं जा सकती 1 श्रम की पूत्ति मे तीन रुप मे कभी की जा सऊझती है-जनसख्या को कम करना, कार्येक्षमता में कमी करना तथां श्रमिकों को एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय मे स्यानान्तरित करना परन्तु इसमें मघ लगेगा । 7 श्वम पूंजोस्े कम उत्पादकं (गण्णः 25 1९85 एण्वण्लीष्ट ।प स्म) --श्रम को श्रधिक उत्पादन हेु पूजी का सहारालेना पड़ता । पूंजीकी तुलना में असम कम उत्पादक होता है । मशीन से झधिक उत्पादन सम्भव होता है। 8. श्रम पूनोसे कमं रतिशोल (उण्णा 5 1९55 चणा षि स्वयं) श्रम मानवीय साधन होनेके कारण कम गतिशील होता है। यह्‌ वातावरण, फशन, आदत, रुचि, घम, भाषा प्रादि तत्रो से प्रभावित होता है जबकि पूंजी नही ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now