असन्तोष के दिन | Asantosh Ke Din
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
118
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“मराठी 1” साजिद गनगना गया--“”आई हेट मराठी ।”
बह क्यो भई 1”
“विकाज भाफ यहकरि मराठी ने तो हाईस्कूल म मेरी पुिशन खराब
की ।”
* औनली मराठीज ऐपियर आन द मेरिट लिस्ट ।” फात्मा ने फसला
सुना दिया ।
'ट्रासलेट,” अब्वास ने कहा ।
सिफ मराठिया के नेम्स ओह हैल नाम मुझे नहीं मालूम कि
मेरिट लिस्ट को हिंदी उर्दू मे क्या कहत हैं ।”
मुझे भी नही मालूम 1” अब्बास ने कहा 1
फात्मा खिलखिलाकर हँस पडी और उसके गले मे बाँहे डालकर
प्यार करन के बाद बोली । मैं सोने जा रही हूँ ।”
“एमज्जू ” सयदा ने फरियाद की । “खुदा के वास्ते यह मिनी र्ती
बाद करो, गोलमाल' लगा दो 1”
माज़िद मे सुना ही नही । वह वावमेन' पर उस्ताद अमीर अली खा
का भहीर भेरव सुनन में लग चुका था । कामो पर ईअर फान चढा हुआ
था | खुद सयदा भी कालीन पर लेटकर युपमा मे छपी हुई तस्वीरें देखने
संगी क्योकि देवनागरी लिपि वह जानती नही थी ।
' यार एक हो जाये ” एकदम से अब्वास को प्यास लग गयी ।
“कोई जरूरत नही 1 ' सयदा न डाटा। 'कफ्यू यू ही लगा हुआ है ।'
वह हँस पडा । “कपयू को चाय से क्या लेना देना भई !”
दरवाज़े से पीठ लगाये जया भादुडी और अशोक कुमार के सीन पर
बाकायदा रोता हुआ राम माहन उठ खडा हुआ ।
अयास देख सकता था कि राम मोहन दिल मार के चाय बनाने उठ
रहा है कि बहू अभी जया भाठुडी और अशोक कुमार के सीन पर और
असन्तोयवे दिन / 17
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