भारती शोधसार संग्रह [खंड १ और २] | Bharati Shodhsaar Sangrah [Section 1 and 2]

Book Image : भारती शोधसार संग्रह [खंड १ और २]  - Bharati Shodhsaar Sangrah [Section 1 and 2]

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
3. २ ~> = + च्श्र भारतीयोधसा रसग्रह १,१;१६७१ ऽप 112६ 77 {6 7000560 वृप्मला]$ [0प्3] कलल ्न्णोत 96 2 05६ ग फिट ऽपएदलं5 01 0५8 ० 765बात१ ण € तल्ह्ः668 ग शा. 10. 0, [रध ल, प एकां ०यऽ एणाणएलाऽ 1६5, 0 त) € कठः 35 17 ए70ह€5ऽ, = इप्णीडपष एल एष्य 2051266 2 110६565 26८द0#६त 7 06 20. 79, €८, ण्णात्‌ 150 € ण्लृपठल्व. न्फष् चाप फिट %वतऽ 7 [०प्ा 215, एप०ता८ऽ €८. 25 पणात्‌ 7 ए०प्रपहशाणघ 0 ए01फ़ाएटड एप प 50८7 06८25002} (गाद्ली रट एषएालब्ध०णड ठप 2150 06 305 कवललत्‌ 0 एण्याः णप्रा०21. पाट 1 ५8 चल 06७६ 5०८८६७8 वि पल पगा क्प ४8४८ 00560 (0 पा7त्‌€ा121६८. श्री भगवदुत्त वेदालकार, सम्पादकं, गुर्कुले पन्िका, गल्कुल कांगडी विद्वविद्यालय, गुरुकुल कांगडी, जिला सहारनपुर (उ० प्र ०) का पत्र दिनांक €. ४. ७१: ः झ्रापका प्रयत्त सराहनीय है श्रौर शोघकर्त्ताश्रों के लिये परम सहायक है । डॉ० कस्तुरचन्द कासलीवाल, एम० ए०, पीएच० डी०, शास्त्री, निदेशक, जैन साहित्य शोध संस्थान, महावीर भवन, सवाई मानसिंह हाइवे, जयपुर-३ (राज०) का पत्र दिनांक ११ श्रप्रेल, १९७१ : भारती मन्दिर श्रनुसन्वान शाला की तालिकात्मक सारपत्रिका प्राप्त हुई । घन्यवाद । राजस्थान विदवविद्यालय पुरी में मारतौ मन्दिर श्रनुसन्वानशाला की स्थापना कर के श्रापने इस दिला में महत्त्वपूर्ण कायं क्रियां है 1 भ्रापके सुयोग्य निदेशन में इस श्रनुसन्वानश्ाला से प्राच्यविद्यां के श्रघ्ययन को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। तरोपके प्रत्येक कायं मे मुके सहयोग देने मे पूं प्रसन्नता होगी । € १०६१ 200 §दुणटणएलः 1971 स्ठपो 0. 5. ©. 2०212, २८३८८१४ ऽका, 53पाक्त 9 415, (€ क. 3, रस घन 05 52०१2, 2827002 2 ता : कि खण 205 ब्ल एपणारत्त्‌ 9 $०प् ण्यात्‌ 9068 एटाए पडर्लणि {न्ग © पट गदलगा0टा3 77 1पपनण््फ्‌ ध्यत 1 59 व] 5४८८९७७ 10 015 $०णाः पणपलदाठ्पष्टु- न क




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now