मदनलाल धींगड़ा | Madanlal Dhingra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अवधेश कुमार चतुर्वेदी - Avdhesh Kumar Chaturvedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
पलाल घींगडा के बड़े भार डाक्टर और वकील बन गए थे और वह
ता सारा समय अग्रेज अफसरों की चापलूसी में गुजारने लगे ।
गे भाई सारे समय अग्रेजी सरकार को किसी तरह खुश करने की
ना बनाने मे निकालते रहते ।
इन दोनो बड़े भाइयों ने सरकार को खुश करने के लिए एक स्वास्थ्य
इधो पत्रिका निकाली । जिसका नाम “मिटो हेल्थ पेम्पफ्लेट' था ।
ग इनके एक रिश्तेदार पटियाला रियासत मे मन्त्री बन ये । पटियाला
सतत तव अप्रेज परस्त रियासत थी ! इस कारण इस रियामत में
गेपद पाना बहुत ही इज्जत की बात समझी जाती थी 1 दौनो बडे
६ अपने इन दूर के रिश्तेदार के आगे पीछे डोलते रहते ।
डा० दित्तामल ने कुछ दिनो के लिए मदनलाल धीगढा को अपने
' रिश्तेदार के पास उनके ठाट बाट देखने भेज दिया तयक्ति मदनलाल
गहा शायद उनके ठाट-बाट व रौब दाब देखकर अग्रेज रियासत के
ति बन जायें ।
पर मदनलाल धींगडा तो किसी अन्य मिट्टी के बने हुए थे । उ हें
तो पटियाला रियासत के अप्रेज परस्त राजा भूपेन्द्र सिह पसद आए
'र ना ही उनके अपने वह रिश्तेदार जो उस रियासत के मत्री थे ।
राजा भूपेद्र सिंह अग्रेजी ठाट-बाट से लस भीर अग्रेजी मदिरा
र महिला के रस मे डूबे रहते । दिन भर क्रिकेट खेलते, शाम वो
नेस, पोलो ओर गोल्फ मे समय गुजारते ।
रियासत का कामकाज श्रष्ट मत्रियो के हाथ में था जो अपना घर
रनें की दिशा मे सोचते थे । ऐसे राज्य मे गरीब प्रजा की हालत क्या
। सकती थी, इसकी कल्पना करना कोई कठिन काय नही है ।
प्रजा के ऊपर गरीब मार पड रही थी । उसे राजा की लतसनिया
। सहनी ही पड रही थी । अप्रेज हुकमरान और रियासत के अफसर
त मौके का फायदा उठाकर प्रजा पर तरह-तरह के अन्याय कर रहे थे ।
प्रजा की इस तरह की दशा देख मदनलाल धघींगडा का सवेदनशील
न और अधिकं दु-खी हो गया । अग्रेज जाति, अंग्रेज सरकार के प्रति
शका भने थूणा व लाकोश से भर गया भा ।
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