मदनलाल धींगड़ा | Madanlal Dhingra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ पलाल घींगडा के बड़े भार डाक्टर और वकील बन गए थे और वह ता सारा समय अग्रेज अफसरों की चापलूसी में गुजारने लगे । गे भाई सारे समय अग्रेजी सरकार को किसी तरह खुश करने की ना बनाने मे निकालते रहते । इन दोनो बड़े भाइयों ने सरकार को खुश करने के लिए एक स्वास्थ्य इधो पत्रिका निकाली । जिसका नाम “मिटो हेल्‍थ पेम्पफ्लेट' था । ग इनके एक रिश्तेदार पटियाला रियासत मे मन्त्री बन ये । पटियाला सतत तव अप्रेज परस्त रियासत थी ! इस कारण इस रियामत में गेपद पाना बहुत ही इज्जत की बात समझी जाती थी 1 दौनो बडे ६ अपने इन दूर के रिश्तेदार के आगे पीछे डोलते रहते । डा० दित्तामल ने कुछ दिनो के लिए मदनलाल धीगढा को अपने ' रिश्तेदार के पास उनके ठाट बाट देखने भेज दिया तयक्ति मदनलाल गहा शायद उनके ठाट-बाट व रौब दाब देखकर अग्रेज रियासत के ति बन जायें । पर मदनलाल धींगडा तो किसी अन्य मिट्टी के बने हुए थे । उ हें तो पटियाला रियासत के अप्रेज परस्त राजा भूपेन्द्र सिह पसद आए 'र ना ही उनके अपने वह रिश्तेदार जो उस रियासत के मत्री थे । राजा भूपेद्र सिंह अग्रेजी ठाट-बाट से लस भीर अग्रेजी मदिरा र महिला के रस मे डूबे रहते । दिन भर क्रिकेट खेलते, शाम वो नेस, पोलो ओर गोल्फ मे समय गुजारते । रियासत का कामकाज श्रष्ट मत्रियो के हाथ में था जो अपना घर रनें की दिशा मे सोचते थे । ऐसे राज्य मे गरीब प्रजा की हालत क्या । सकती थी, इसकी कल्पना करना कोई कठिन काय नही है । प्रजा के ऊपर गरीब मार पड रही थी । उसे राजा की लतसनिया । सहनी ही पड रही थी । अप्रेज हुकमरान और रियासत के अफसर त मौके का फायदा उठाकर प्रजा पर तरह-तरह के अन्याय कर रहे थे । प्रजा की इस तरह की दशा देख मदनलाल धघींगडा का सवेदनशील न और अधिकं दु-खी हो गया । अग्रेज जाति, अंग्रेज सरकार के प्रति शका भने थूणा व लाकोश से भर गया भा ।




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