श्री दशमगुरु काव्यामृत सार | Shri Dashamguru Kavyamritsaar

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Book Image : श्री दशमगुरु काव्यामृत सार  - Shri Dashamguru Kavyamritsaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९4 ) ------------------ --- जब गुरुजी “कुरुक्षेत्र की थात्रा को गये तब रास्ते में पाँच हजार मुग़ल सेना को धन देकर गुरुजी पर गुप्त रूप से पहाड़ी. : राजा चढ़ा लाये । परन्तु शाही सेना का एक सरदार “सैदवेरा”” . तो गुरुजी का सेवक होगया और उलटा 'छापनी ही सेना से लड़ा और दूसरा सरदार “ अलिफ़खों ”” भाग निकला । गुरुजी ते पहले से पनी भी एक गुप्तं सेना इनकी चालाकी को रोकने को तयार कर रक्‍्खी थी । उसही से विजयी हुए । , ` जब शुरुगोविंदसिंह किसी तरह भी नहीं दवे तो सब पहाड़ी राजाओं ने अपनी तरफ़ सेः राजा अजमेरी चन्द्‌ को दक्षिण में चादशाह औरंगज़ेव॒ के पास अर्जी सहित भेजा और शुरुजी की भरपेट शिकांयतें . की गई' । बांदशाह ने करोप करके दस हार फौज तो वहां से भेजी 'और सरहिंद के नवाव को हुक्म भेजां कि गोविंदसिंद को गिरिक्तार करके शादी दवॉर में रवाना करै । गुरुजी ने भी सन तरद से खूब तयारी कीं थी! श्नानन्दपुर सें बड़ी भारी लड़ाई हुई । राजा हरिचत्द मारा गया । फ्रौज का अफ़सर सय्यदर्खा गुरुजी का चेला होकर बन में आग गया । अंजमेरी चंद घायल हुझा शरीर उसका मुसाहिव मास गया । और बहुत सुगल सेना और राजाश्यों की फ़ौज मारी गई | विना अफसर की फ़ौज दोजाने से शादी फौज भाग छूटी । गुरुजी की यद्द बड़ी भारी फ्रतहद हुई ! । ॥




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