आगम तीर्थ | Aagam Teerth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गम नमन हमारा भ्रिहन्तो को, जो जग के सब ताप मिटाते । जिनकी पावन चरण-धूलि से, पग-पग पर तीरथ बन जाते ॥ नमन हमारा सिद्धजनो को, तोड चुके जो भव की कारा । जिनके सूयें-सदुश नयनो से, बहती है करुणा की चारा ४ नमन हमारा आाचार्यों को, विश्व-वस्द्य जो झराचरणो से । सहज युक्ति लिपटी रहती है, जिनके मगलमय चररो से ॥। फिर है नमन उपाध्यायो को, जो जग मे निग्रन्थ कहाते।




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