तत्त्व विज्ञान | Tatavvigayan

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Tatavvigayan by राजचंद्र - Rajchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करवा भाग्यशाछी वन्या अने तेथी आत्मज्ञानादि गुणोथी विभूपित थई स्वपरश्रेंयस्कर वनी गया, ए प्रत्यक्ष दृप्टातरूप छे आ म्रन्थमां जें अनुक्रमाक मूकवामा आग्पा छे तेनी डावी वाजुए | ] आवा कौसमा जे आक मृकवामा आच्या छे ते आक श्रीमद्‌ राजचन् आश्रम, अगासद्वारा प्रकाशित ° श्रीमद्‌ राजचन्द्र ' श्रन्थ (स २००७ नी छेल्ली आवृत्ति अनुसार छे अनेते तेमाना पृष्ठ तथा पत्राक सुचवे छे जेथी तेमाथौ लोधी केवामा सुगमता थवा योग्य छे मुमृक्षु नघु श्री मोहनलाल चीमनलाल शाहनो एवी उल्लासभरी भावना हुती के आ ग्रन्थनी प्रसिद्धनु श्रेय तेमने घाप्त धाय ते तेमनी प्रशसनोय भावना फटी छ अने तेमना हाय आ ग्रन्थं प्रकानित थयो छेते माटेतेमने अभिनदनत घटे छे सत्पदामिरापी सज्जनोने सत्पदनो साधनामा आ ग्रन्थनो विनय अने विवेकपूवेक सदुपयोग आत्मध्रेय साघवा प्रवल उपकारी बनो ए ज अभ्यर्थना. श्रीमद्‌ राजचन्द्र आश्रम, पो बोरी, स्टेशन अगास, सत सेवक, वाया गाणद (\ 1२1) रावजीभाई छगनभाई देसाई जेठ वद ५ ता १२-६-१९६३ १६




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