स्वराज्य - दर्शन | Swarajya Darshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Swarajya Darshan by जलेश्वर प्रसाद सिंह - Jagdeshwar Prasad Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जलेश्वर प्रसाद सिंह - Jagdeshwar Prasad Singh

Add Infomation AboutJagdeshwar Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राष्ठीय-हुकार 1 न्वत रोचे मेनचेएर वाले ऋरलायें लंकाशायर वलि 1 पड़े हमें भी जीवन लालें, हम फिर क्यों गम खायेंगे ॥ हम०-- खद्दर ही हो विश्व हसाय, खद्दर होसर्व स्व हमारा । खद्दर ही मम जीवन तारा, खद्दर मय हो जावेंगे ॥ हम खदर को अपनारयेगे ॥ असल रूपा (र) असहयोग-प्रण । करो ये प्रतिज्ञा करू मातु सेवा, उरगा नक्ष में के देश सेवा । चले तीर चादे चलते तोप गाले, सर्हेमा समी को श्रसदयोगको ले। हँसी से खुशी से भरे करटेगे चे जेत जाय नहीं पे दंगे ! स शांति से ्राटमवल पे उरेगे मरं देश पै देश कोदीरसेगे ॥रौ - 52 \&) राष्ट्रीय-हुड्ार । डुलारे देश भारत के सभी संकट मिटायेंगे । समय है. काम करने का नहीं वातें चनायेंगे ॥ डुलारे० ॥ कटिनतर चिज्न वाधायें डरायें झानकर हमको । खरे म नदीं हरगिज नियम श्पना निमायेने ॥ दुलारे० 1 9




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now