स्वराज्य - दर्शन | Swarajya Darshan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
840 KB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राष्ठीय-हुकार 1
न्वत
रोचे मेनचेएर वाले ऋरलायें लंकाशायर वलि 1
पड़े हमें भी जीवन लालें, हम फिर क्यों गम खायेंगे ॥ हम०--
खद्दर ही हो विश्व हसाय, खद्दर होसर्व स्व हमारा ।
खद्दर ही मम जीवन तारा, खद्दर मय हो जावेंगे ॥
हम खदर को अपनारयेगे ॥
असल रूपा
(र)
असहयोग-प्रण ।
करो ये प्रतिज्ञा करू मातु सेवा, उरगा नक्ष में के देश सेवा ।
चले तीर चादे चलते तोप गाले, सर्हेमा समी को श्रसदयोगको ले।
हँसी से खुशी से भरे करटेगे चे जेत जाय नहीं पे दंगे !
स शांति से ्राटमवल पे उरेगे मरं देश पै देश कोदीरसेगे ॥रौ
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\&)
राष्ट्रीय-हुड्ार ।
डुलारे देश भारत के सभी संकट मिटायेंगे ।
समय है. काम करने का नहीं वातें चनायेंगे ॥ डुलारे० ॥
कटिनतर चिज्न वाधायें डरायें झानकर हमको ।
खरे म नदीं हरगिज नियम श्पना निमायेने ॥ दुलारे० 1
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