आँगन | Aangan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
350
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आगन | ६
असल में जया के गणित ने सोचने के लिए बाध्य किया है। थोड़ा
बहुत उस दिन भी सोचा था--जब इसी वेश्या-वाजार की जया की तसवीर
उसने नैनीताल के एक स्कूल म--उस न हीः सी कच्ची के पास देवी थी !
उस पल भी लगभग उसी तरह झटका लगा था, जैसा दो दिन पहले
लगा--तंत्र जब अनायास ही जी० वी ० रोड स्थित कई मजिला बिरषिंडग
की सीडिया चढता, पलकें झपकाता अजित सखाराम इनामदार के साथ
एकदम जया वे सामने जा खडा हृ या }
वह एक सजी धजी भौरत के साथ दीवान पर अधतेटी पडी हुई किसी
वात पर विलधिला रही थौ। सहसा वह वुरी तरह् समकर भजित को
देखने लगी थी । उसके पाउडर से पुते चेहरे पर ननायास ही बदलियो के
कई टुकड़े तिर आये ये । तेज-तेज भागते हुए ।
और अजित भी क्या कम विचित्र स्थिति भोग रहा था ? होठों पर
पान कौ मेहदी, नशे मे थम यम कर डूपती पलकों, रेशमी कुरते पर नशे में
कव, किप पल पीक के कुछ छीटे गिर गये थे--अजित को मालूम ही नही ।
पर उस समय तो अजित वो कुछ भी मालूम नहीं। और जया को
शायद सब मालूम । उसका वापता स्वर अजित के कानों को शियोडता
हभ, “तुम? ” एकु पल धम गयी थी वह्। अजितके करीब आकर
रुरो तरह सिव्पिटति हए उक्तने पुछा धा, “'तुम--तुम अजित होना?
भात्तरीवाले पण्डितजी के लडके 1“
अजित चुप । जमकर रह् गया था । नशा गायव । एमे, जसे मजित को
छोडकर अचानक उदी सीदियोसे दन् दन नीचे उतर भागा दहौ-जिहं
चढ़कर अजित ऊपर आया था।
सखाराम इनामदार ने हैरत से सवाल किया था, “अरे, तुम इ हू पहले
से जानती हो-चदारानी ? “
चदारानी। सादन वटोरकर अजित फिरसे देवने लगा थावद्
वेहरा। यह चदारानी दै? नही--अजित जानता है कि यह् है जया।
उसके मास्टर राजनाय भटनागर की साली देवनास्वल्प राजनाथ
भटनागर की साली। राजनाथ ने शब्दज्ञान दिया है अजित को । एक
अजित को ही वयो--कइयों वो पर जया. और यहा ?
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