तेवर | Tewar

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Tewar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खाने को ईट-पत्थर ही नहीं चूहे खाने की 'निक' सलाह दी, कपड़ा, वह्‌ तो तुमने! दुःशासन को शह देकर द्रौपदी के कफन तक से खिचवा लिया जब चाहा, आदमी के खुन को जमाया जब चाहा उबाला उसकी कु ठाओ से खेलते रहे उसकी अंतडियों मे-- सैकडो बिच्छुओं के डंक लगाते रहे लेकिन, उसके चीखने चिल्लाने से पहले उसके होठों पर कील-- ठोंक दी गई ! और उसे दरिद्रता के हाथियों से कुचलवा दिया गया लेकिन अब, हवाओ ने तेवर बदल दिये है सूर्य, उनको मुट्ठियों मे हैं बाजुओं मैं, संघर्षों के पहाड़ सिमरे हुये हैँ अधेरे उसके खौफ से तिलमिलाने लगे है वह, चलती फिरती लाश नही, लोहे से फौलाद में वदलता जा रहा है उसकी भूकुटि के इंगित से खाल ओदढें भेड़िये मिरमियाने लगे है ४




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