निघराटरत्नाकर | Nighratratnakar

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Nighratratnakar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निचघंटरनादर भापाके प्रथमखण्डका सुचीपन्र । {३ # | विपय ९ विषय & विषय = ट & | २१४ | लॉकनाथरस २१८ | आनन्दभैरवी २२२ रतीसारनिदान # |'मद्दारस ०२६ | शोकभयातीसारनिदान २२३ रक्तातीसारक्मविपाक # | द्वितीयमद्दारस ॐ | चिकित्सा र संप्राप > | वातातीषारभानो > | परशिनपण्यांदि कि व्यतीसारनिदान ४. |' पित्तातीसारनिदान # | आमातीसारनिदान चर संप्रापि # | चिकित्सा # | चिकित्सा न अतिखारपुवूप ® | पित्तातीवारपाणीवघरन्न = | = | वितति _ श्रतिखारपुवंरूपचिषित्वा = | मधुकादियोग = | धान्यकादि # विल्वादिपडगयुष ? | शुट्यादि अभयारेचन < याग # | विस्वादिकाढ़ा = | बिहंगादि ह वनेनीय > | कटूफलादिकाढ़ा र२०| जुधिताबर २२४ अतिसारावरलंघन २१५ | मधुयष्टयादिकाढ़ा | देवदार्जलपान ् दीपन # | समंगादिचणं # | चित्रकादि ् अतिष्ारप्रक्रिया | श्रतिविपदियोग > | विष्वादियोग # दुषरप्रकार = जंघादिचुणं = | पथ्यादि । न धान्यपंचकपाचनं @ | लोकेश्ठररस | एरण्डादिरिस दर धातष्यादिमोदकं = | द्सराप्रकार * | शुंद्यादिचण की कुटजाएककाढ़ा > | कफातोखारनिदान > | द्रीतक्यादिचणं = वातातीसारनिदान # | चिकित्सा ४ | 'शुंठीपुटपाक ^. यतिकादिकाढा > | पथ्यादिकाढ़ा # | शुट्यादिचुण | पथ्यादि | छमिशत्रादि > | तीसराश ठयादिचण दर चचादि # | परिकादि ` २९१ | साखरुण्डचुणे २२५ सुबच्चंलादिकाढ़ा = | गोकौटकादिकाढ़ा = | यवान्धादि = कपित्याणएक २१६ | चव्यादिकाठा ~ | कलिंगादि प्र लाद्चणे = | कणाच ~+ | विकंठादियवकांजी ~ कटजचणं ४ | डिंग्वादि => | चीवेरादि ) ष्य'टीचणं £ | दव लादियोग हि चूयुपणादि न छरृदल्लवगादि्‌ £ | पथ्यादिचणं # | पाढ़ादि न विज्ञयायोग २१९ | भयादिच॒णे = | पयमुस्तायोग ॐ फुटनाघलेद = | शुढो एटपाक = | आमपक्कातीसारलच्षण न दुसराकुटनाद्यवलेद = | चिदोपअतीसारनिंदान = | असाध्यसच्षण ॥ कुटजपुटपाक + कुटजावलेद्‌ = | उपद्रव ~ यन्द सतसंजोवनरस # | समंगादि २२ | सोधादि चूण अनुपानफदेदं २१८ | पंचमुलीवलादिकाढ़ा -= | पट्रादिचणे ` £ कारुप्यसागर्‌ = पंचमूलयोजना = | कुटलार्दि + 2 = | कुटजञपुटपाकं > | इवष्टादिगण दन्य सुतादिवटी ४ | समंगादिचण + पचमुलाप्दपया चतुश्समावटी * | फंचटादि चणे + मसुराद्घूत तृ्धिखागररस चंछोटकल्क ह




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