दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता | Do Sau Baavan Vaishnavan ki Varta
श्रेणी : साहित्य / Literature, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
460
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वैष्णव ($) गोविदस्वामी. ` (३)
प ॥ तब वे न्हाय आये ॥ तब श्रीनवनीतप्रिया-
जीके संनिधिमें नाम निवेदन करायो ॥ तब गोविदस्वा-
मी साक्षात पृणैषरषोत्तम कोटिकंदपटावण्यके देन् |
| मये ॥ ओर सव रीलानको अडमव मयो ॥ श्रीयसांईजी
श्रीनवनीतप्रियाजीकी सेवा करके बाहिर पधार ॥ तब
गोविदस्वामीने बीनती करी ॥ जो आप्तौ कपटसूप
दिखावतहो॥ साक्षात पणंषएरुपोत्तमरूप होयकेवेदोक्त कम
करत हो॥सो हम असेनकु मोद होयहै॥ जव श्रीएसारजीनं
आज्ञाकरी॥ जो मक्तिमागंहेसो एख्को इक्षहै॥ आर क|
मैमागंहैसो कांटनकी बारहै॥तासूं कममागंकी वारविना
मक्तिमाग जो फ़ूठको दक्ष वाकी रक्षा नहोय ॥ ये सुन-
के गोविंदस्वामी बढ़त प्रसन्न भये ॥ गोविंददास ऐसें क-
पापात्र भगवदीय मये॥ प्रसंग॥१॥सो गोविंददास महाव- |
[नके टेकरापर रहते हते॥ और नये कीतैन करके गावते
| हो ॥ प श्रीठाकरजी छनवेके पंघारते हते ॥ जब
उद्दां मदनगोपाठदास कायथ कीर्तन लिखवेक आवते|
'हते ॥ सो एकदिन श्रीठाकुरजीकु गोविंदस्वामीनें कही
॥ त इहाताई आप नित्व श्रम् करोह .॥ सो आपको गान
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