राजस्थान केशरी अथवा महाराणा प्रतापसिंह | Rajasthan Keshari Athwa Maharana Pratap Singh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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श्ासिफखां को सिखा कि राय रायसिंघ मे तो सिरोो और
आवूगढ़ सुरतान से कोन लिया और शभ्रासिफ़खां के ऊपर
नारायण दास को ने सदद टरेकर मेजा वह ईडर से
दस १० कोस पर पहुंचकर यादशाछो थाने इंडर पर छापा
सारना चाइता था कि ्रासिफ़सां ने फागुन सुदी < को सात
स्ोस आर जाकर मुकाबिला किया और सड़ाई में इराकर
सया दिया लेकिन राजा भगवंत दास भर सिरलाखां वगेरः
से कुछ बंदोवस्त महाराणा का न छो सका वे उसी तर थानों'
के अपर दीड़ते रह बादशाछी ्रसोर उनके पकड़ने की बचत
कोशिश करते थे सगर उन तक पहुंच भी नहीं सकते थे और
लब कि वे एक पद्टाड़ को मद्दाराणा का ठद्दरना सुनकर घेरते
घे सद्दाराणा दूसरे पा से निकलकर छापा मार लाते थे वे
कसी एक घगद या किले में जमकर नछीं बैठते थे कि इसमें
वाज़े वह सुशकिल पड़ जाती है इमेशा इधर उधर वा-
दशादी श्रमीरों की भाल में फिरा करते थे इस दौड़ घूप का
यद फल लगा कि उदयपुर आर गोघूंदे से सादशाछो थाने उठ
मये घोर मोटी का घानेदार सुझाइद वेग सारा गया ॥
पा
'वादशाह का दुबारा घ्जमेर में घ्पाना
अकबर बादशाह कातिकं बढ़ी .१२ को मास्यूल के साफ़िक
फिर अजमेर आये और अगलो फौज से मेवाड़ में कुछ काम
निकला न देखकर कालिक सुदी १५ को सेडते से फिर
एक फ़ोन सष्टाराणा के ऊपर भेजो उसमें अफसर तो बची
राजाभगवंतदास, कवर पायंदाखां, सुग़ल सेयद कासिम
सेयद दासन, सेयद राज असदतुकमान और गजरा चौहान वरेर:
गज
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