आत्मपुराण | Aatmapuran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गर्मेद्रमतरेवे ॥ मोपोलावेमावज्ञाडमेषी छादेवे ॥ कहेसोनी
हरचद्जालकीवादांदूण ॥ विनाघरसक्रानातकोराघोखा
वेकुण ॥ ४३ ॥ च्रूनमगकेर्कोपारीदहवणाय ॥ गरू
लगलावेमालवीपांणी मांवभराव ॥ पांणीसायभरायसीस
परछूरीयाराखे ॥ पीठेमेठघावआंगलीलेकरचासं ॥ कहें
सानीहरददशकसीकरमश्णायं ॥ चूनमगाद्गर्कापाडार्
हेबणाय ॥ ४४ ॥ जेनघरमकोनांमहेकरजीवपरघात ॥
बांणागुपतिचोरहवांणाराकसजात ॥ बांगाराकसजातब्यां
कामिद्रमोटा ॥ गुपतिवेठमांयन्यांकादस्णखोरा ॥ क
हैसोनीहरचदनगतक्तबदणीयोबात ॥ अनधरमकोनांमहं
केरेलीवपरघात ॥ ४५ ॥ बाणा इहोकतेतोप्रनंतेअवता
२ ॥ मूसरूमांनजोहोवतेतोपीरदैवटुवारं ॥ पीरंदेवदुवा
रांगीयाराकसबाजे ॥ झूठाज्यांकादवमिद्रांसूतणगाजे ॥
कहेसोनीहरचंदृचुर्णीजोराजदुदारसंसार ॥ बांणाहीद्होव
तेतोपूजंतेअवतार ॥ ४६ ॥ तीथांगरसबराकसी ऐअवता
रीनाई ॥ कलाकविरूदेसकोसबीबगंणीयामाईइ ॥ सबीबां
णीर्यामांयआद्केराकसकेवें ॥ देवतज्याकाभूतजिणसूभल
रेवे ॥ कहेसोनीहरचंहइसीनेकुडनाहीहेकाइ ॥ तीथांगर
सबराकसी ऐअवतारीनाइ ॥ ४७ ॥ सदाकलंकीबांणीयाये
पूझतेकाल ॥ मींद्रजातेद्रसणारखतेचावलदाल ॥ रख
तेचावलदालइसीबिद्मेलादीसं ॥ गुपतमराव॑जीवकटबका
सबहीसीखे ॥ कहेसोनीहरचंद्देखबणीयांकाजालसदाक
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