भारत माता | Bharat Mata

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Bharat Mata  by स्वामी रामतीर्थ - Swami Ramtirth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वामी राम की असृत-वाशी ७ नहीं है ; वहो की उन्नति का असली कारण अज्ञात-रूप से वेदान्त को आचरण में लाना है । भारतवषं का पतन आचरण में वेदान्त के न रहने के कारण हुआ है । २२ विदेशी राजनीतिज्ञ से बचने का एकमात्र उपाय आध्या- स्मिक स्वास्थ्य के विधान अथात्‌ अपने पड़ोसी से प्रेम करने के नियम का अपने जीवन मे चरिताथे करना है | २५ अपने आपको इश्वर के खपिया पुलीस का सदस्य वनाकर शुद्धता या अशुद्धता के नाम पर हमे क्या अधिकार है कि हम एेसे मनुष्य के प्राइवेट चाल-चलन की ताक-ोक कर; जिसका सामाजिक जीवन देश के लिये हितकर हो । २५ हिन्द्‌ लोगों मे हमको नुक्ताचीनी नही, किन्तु गुण-्रहण का भाव, ख्रातत्व की भावनाः, समन्वय की बुद्धः घमां व कायां करा यथायोम्य अधिकार ओर श्रम की महिमा को जानत करना है । (~ ष्ट यदि विदेशों में अपना निवांह करने के सिवा तुम अपने देश के लिये क नहीं कर सकते, तो कहीं रहो खोर र्या तुम्हें भारत-माता की दुखती हुई छाती पर रगती हदं जोक बनना पड़े, तो अरब-सागर में कूद पडो । ३७ भारत के मक्तो ! उस मघुर-मुख ग्वाले ( भगवान्‌ कृष्ण ) के तुम प्यारे प्रेम-पात्र बन जाओगे जव तुम दिव्य प्रेम के साथ चांडाल में, चोर में; पापी में; अभ्यागत में आर सवम हि व डमद-ि: = म स ५




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