भारत माता | Bharat Mata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
73 MB
कुल पृष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वामी राम की असृत-वाशी ७नहीं है ; वहो की उन्नति का असली कारण अज्ञात-रूप से वेदान्त
को आचरण में लाना है । भारतवषं का पतन आचरण में वेदान्त
के न रहने के कारण हुआ है ।
२२
विदेशी राजनीतिज्ञ से बचने का एकमात्र उपाय आध्या-
स्मिक स्वास्थ्य के विधान अथात् अपने पड़ोसी से प्रेम करने
के नियम का अपने जीवन मे चरिताथे करना है |
२५
अपने आपको इश्वर के खपिया पुलीस का सदस्य वनाकर
शुद्धता या अशुद्धता के नाम पर हमे क्या अधिकार है कि हम
एेसे मनुष्य के प्राइवेट चाल-चलन की ताक-ोक कर; जिसका
सामाजिक जीवन देश के लिये हितकर हो ।
२५
हिन्द् लोगों मे हमको नुक्ताचीनी नही, किन्तु गुण-्रहण
का भाव, ख्रातत्व की भावनाः, समन्वय की बुद्धः घमां व कायां
करा यथायोम्य अधिकार ओर श्रम की महिमा को जानतकरना है ।(~
ष्टयदि विदेशों में अपना निवांह करने के सिवा तुम अपने
देश के लिये क नहीं कर सकते, तो कहीं रहो खोर र्या
तुम्हें भारत-माता की दुखती हुई छाती पर रगती हदं जोक
बनना पड़े, तो अरब-सागर में कूद पडो ।
३७
भारत के मक्तो ! उस मघुर-मुख ग्वाले ( भगवान् कृष्ण )
के तुम प्यारे प्रेम-पात्र बन जाओगे जव तुम दिव्य प्रेम केसाथ चांडाल में, चोर में; पापी में; अभ्यागत में आर सवमहि
व डमद-ि:= मस५
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