जंतुओं का गृह - निर्माण | Jantoin Ka Garh-nirman

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Jantoin Ka Garh-nirman by जगपति चतुर्वेदी - Jagpati Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ दः लः म ० 2 5 >+ 1. 1 से सडक ना .-समकार रिवरलड द क जः र < म य सर्व १२ जन्तुका गृह-निमांण है, इसलिए इस ठोस छत समान वस्तु के नीचे अण्डे निरापद रहते हैं । कभी-कभी नर मत्स्य उसके निकट रखवाली के लिए मौजूद भी रहता है । वह उसके नीचे आता जाता रहता है जिसके लिए आने जाने के विशेष द्वार बने दिखाई पड़ सकते हैं । प्रावारक्णें उलूक भी अपना घोंसला नहीं बनाता । वह कोवों या पंडुकों के त्यक्त घोंसले या गिलहरी के त्यक्त कोटर में ही अझरडा देने का उपक्रम करता है। इस तरह दूसरों के परित्यक्त किए घोंसलों से ही उसका काम निकल जाता है। मादा उसे सुधारने या मरम्मत करने का तनिक भी उद्योग नहीं करती । उसी में अस्य देकर सेती है। 19




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