दो चट्टानें | Do Chattanaye
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस तरह का पाद्यविक आघात सहना ;
दाप इससे भी बड़ा है शत्रु का प्रच्छत्त रहना ।
यह नहीं आघात, रावण का उघरना ;
राम-रावण की कथा की
आज पुनरावूति हुई है ।
हो ददानन कलियुगी,
्रेता युगी,
छुल-छं ही श्राघार उसके--
_ बने भाई या भिखारी,
जिस किसी भी रूप में मारोच को ले साथ श्राए,
कई उस मककार के हैं रूप दुनिया ने बनाए ।
आज रावण दक्षिणापथ नहीं,
उत्तर से उतर
हर ले गया है,
नहीं सीता, कितु शीता--
ीत हिममंडित
शिखर को रेख-मालासे
सुरक्षित, शांत, निर्मल घाटियों को,
स्तब्ध करके,
दग्ध करके,
उन्हे अपनी दानवी
गुरु गजना की बिजलियों से ।
और इस सीता-हररा में,
नहीं केवल एक,
समरोन्मुख सहस्रों लौह-काय जटायु,
घायल-मरे,
अपने शौर्ये-शोणित की कहानी
दो चढ्टानें २०
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