दो चट्टानें | Do Chattanaye

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Do Chattanaye by बच्चन - Bachchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस तरह का पाद्यविक आघात सहना ; दाप इससे भी बड़ा है शत्रु का प्रच्छत्त रहना । यह नहीं आघात, रावण का उघरना ; राम-रावण की कथा की आज पुनरावूति हुई है । हो ददानन कलियुगी, ्रेता युगी, छुल-छं ही श्राघार उसके-- _ बने भाई या भिखारी, जिस किसी भी रूप में मारोच को ले साथ श्राए, कई उस मककार के हैं रूप दुनिया ने बनाए । आज रावण दक्षिणापथ नहीं, उत्तर से उतर हर ले गया है, नहीं सीता, कितु शीता-- ीत हिममंडित शिखर को रेख-मालासे सुरक्षित, शांत, निर्मल घाटियों को, स्तब्ध करके, दग्ध करके, उन्हे अपनी दानवी गुरु गजना की बिजलियों से । और इस सीता-हररा में, नहीं केवल एक, समरोन्मुख सहस्रों लौह-काय जटायु, घायल-मरे, अपने शौर्ये-शोणित की कहानी दो चढ्टानें २०




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