हिंदी भाषा का इतिहास | Hindi Bhasa Ka Etihash

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Hindi Bhasa Ka Etihash by धीरेन्द्र वर्मा - Dhirendr Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वक्तव्य श्७ “तार की भाषाओं का वर्गीकरण” अथवा मूल अ्रंथ में “हिंदी ध्वनिसमूह' शीर्षक पहला ही अध्याय । किंतु हिंदी में इस प्रकार की सामग्री के भ्रभाव के कारण तथा हिंदी भाषा के इतिहास को समकने के लिए इन विंषर्यों की जानकारी की आवश्यकता को समझकर इन अपेक्षित रूप से अरसंवद्ध विषर्यों का भी समावेश कर लेना आवश्यक समका गया । ग्रंथ लिखते समय अनेक कठिनाइयां उपस्थित हुई । सब से पहली कठिनाई पारिभाषिक शब्दों के संबंध में थी । हिंदी में भाषाशाख्र से संबंध रखने वाले पारिमाषिक शब्द एक तो पर्याप्त नहीं हैं । दूसरे जो हैं वे सर्व- सम्मति से झ्रभी स्वीकृत नहीं हो पाए हैं । इस कारण चहुत से नए पारिभा- पिक शब्द बनाने पढ़े तथा अनेक पुराने पारिभाषिक शब्दों को जाँच कर उन में से उपयुक्त शब्दों को चुनना पढ़ा । भविष्य में इस विषय पर काम करने वालों की सुविधा के लिए पारिभाषिक शब्दों की हिंदी-अंग्रेजी तथा - ंग्रेज़ी-हिन्दी सूचियां पुस्तक के अंत में परिशिष्ट-स्वरूप दे दी गई हैं | ध्वनिशाख्र संबंधी पारिभाषिक शब्दों को निश्चित काने में श्रेहम वेली की सूची ( इुलेटिन घाव दि स्कूल आव थओरियंटल स्टडीज़ भाग ३, ए० २८६ ) का भी उपयोग किया गया है । दूसरी कठिनाई हिंदी तथा विदेशी नई ध्वनियों के लिये देवनागरी में नए. लिपिचिह्न चनाने के संवंध में हुई । इस विषय में भी बहुत विचार करने के वाद एक निश्चित मार्ग का अवलंवन करना पड़ा । नए लिपि-चिह्नों के ढलवाने में हिंदुस्तानी एकेडेमी को विशेष व्यय करना पड़ा क्तु इनके समावेश से एस्तक बहुत अधिक पूर्ण हो सकी है तथा इस संबंध में एक नया मार्ग खुल सका है । एक एथकू कोष्ठक में देवनागरी लिपि के साथ अंतर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि-चिह्न (ए/८:0४8०0081 ०068८ 5एुड८ए) भी दे दिए गए हैं । सामग्री के एकत्रित करने में तथा एक-एक रूप की तुलना करने में जो परिश्रम करना पड़ा वह पुस्तक पर एक इृष्टि ढालने से ही विदित हो सकेगा । यह सब होने पर भी पुस्तक की नदियों ।




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