छतरपुर जनपद में वाणिज्यिक कृषि एवं आर्थिक विकास | Chhatarapur Janapad Men Vanijyik Krishi Avam Aarthik Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
419 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
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No Information available about सुधर्म कुमार तिवारी - Sudharm Kumar Tivari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पस्तुत: बा्णिज्यिक कृषि एक बह आयामी प्रया 2 । जिसकी परिधि में
भूमि उपयोग पशु पालन, पर्त प्रतिरूप, फसल समुच्चय कृषि प्रतिय का निर्धारण, स्थानीय
पर्यावरण, नवीनतम प्रयतेन क। उपयोग आदि आते है । वाणिज्यिक कृषि वास्तव में पारितंत्र का
न
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ही एक संशोधित रूप है । किसी भी फसल की. अभीष्ठ उपज प्राप्त करने के तिय पारित के
कार्यों एवं संरचना में मानवीय | किया जाता है
न
। चेसे वाणिज्यिक कृषि तीन कारक समहों
१
पर निर्भर करती है |
| - कुषि क्षेत्र की स्थानीय विषेषता या परितं
2 - कृषि फार्म की सापेक्षिक स्थिति
3- कृषक ` की व्यक्तिगत सामाजिक, . आर्थिक एवं राजनैतिक तथा वैज्ञानिक पद्तियों
के कारक संबंधी विशेषतायं
कृषि कार्यं के लिये जलवायु तथा अन्य भौगोलिक कारक जैसे कषि क्षेत्र की
अक्षांशीय स्थिति, समुद्र तल से ऊंचाई प्रकाश की अवधि आदि फसल प्रतिरूप को निर्धारित
करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ।
धरातल की प्रकृति, ढाल की प्रबरता, जल प्रवाह की दशयं मिटटी की
विशेषतायें कृषि की रासायनिक , भौतिक तथा जैविक संरचना |
उक्त भौगोलिक कारकों के अलावा मानवीय कारक भी वाणिज्यिक कृषि के
विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भू-स्वामित्व क्षेत्रों का आकार, क्षेत्र, श्रम उपलब्धि,
उपकरण सिंचाई की सुविधा परिवहन साधनों की उपलब्धता, बाजार की स्थिति के अतिरिक्त
सयानिक उबरकों, कीट नाशको, उन्नत बीजों के संबंध में समुचित ज्ञान म र्णं कारः
है
ऋ
उपरोक्त विवेचन से ये स्पष्ट होता है कि वाणिज्यिक कृषि मुख्य रूप से
भूगोल, अर्थशास्त्र और कृषि किसानों से संबंधित है । इन तीनों अनुशसकों की अनेकानेक
शाखाओं से कृषि कार्य विशेष रूप से वणिज्यिक कृषि से संबंधित है ष्व के अनेक भागों मैं.
कृषि के साथ पशुओं का भी उपयोग होता है इ सलिये यह पशुपालन विज्ञान से भी संबद्ध है
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