हिन्दी के सीता - निर्वासन काव्य तुलनात्मक अध्ययन | Hindi Ke Sita - Nirvasan Kavya Tulanatmak Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 वेद को भाषा। इन दोनो स्वरूपो के बीच की जो भारतीय भाषा के इतिहास कौ अवस्था है, उसको इस प्राकृत नाम दे सकते हे । ” इस प्रकार प्राकृत मध्यकालीन भाषाओं का प्रतिनिधत्व करती है > इसकी तीन अवस्थाओं का उल्लेख विद्वानों ने किया है- प्रथम प्राकृत (पालि) द्वितीय प्राकृत (साहित्यक प्राकृत) तृतीय प्राकृत (अपभृंस) | „ बद्‌ मतावलम्बी महात्मा ए बौद्ध मतावलम्बी महात्मा यद्र को राम का अवतार मानते है। इसीलिए पालि भाषा में लिखे गये नोद्‌ साहित्य मे रामकथा मिलती है । त्रिपटिक के सुत्त पिटक के खुद्दक निकाय मे अनेक जातक संगृहीत है। इनमे रामकथा सम्बन्धी अनेक जातक हे। (1) दशरथ जातक (2) अनामकम जातक (3) दशरथ कथानक (4) देवधम्य जातक (5) ज्यादद्ूस जातक (6) साम जातक (79 वेसांतर जातक (8) शम्बुल जातक । इसके अतिरिक्त लंकावतार सूत्र मे लंकापति रावण एवं महात्मा बुद्र के बाद विवाद्‌ का उल्लेख है किन्तु उसमें रामकथा का अभाव है । दशरथ जातक एवं देवधम्य जातकं म रामकथा कौ पूरी रूपरेखा विद्यमान है ओर जन दिद्स जातक के अन्तर्गत राम का दण्डकारण्य जाना दिखलाया गया है । तथा सामजाठतक के कुछ अंश रामायण से बहुत कुछ मिलते जुलते है, ओौर वेसात॑र जातक की कथा से भी रामकथा का बहुत कुछ साम्य है। अनामक जातक में वनवास, सीताहरण, जटायु मृत्यु, बालि, सुग्रीव युद्ध, सेतु बन्धु सीता परीक्षा के संकेत मिलते है किन्तु पात्रो का नहौ उल्लेखित है - सबसे विवादास्पद दशरथ जातक है जो संबधियों की मृत्यु पर दुख न करने के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत की गयी है। अनेक विद्वानों का मत है कि इस जातक में रामकथा का मूल रूप सुरक्षित है जिसका खण्डन डा. वुल्के ने किया है। 2 द्वितीय एवं तृतीय प्राकृत मे रामकथा जैन सम््रदायानुसार मिलती है । जिस प्रकार बौद्धो ने गौतम को राम का पुनरावतार स्वीकार किया हे, उसी तरह जैनियों ने भी राम (पद्म्‌) लक्ष्मण एवं रावण को जैन धममनुयायी महापुरूषों के रूप में वर्णित किया है । उनकी गणना त्रिशष्ठिशालका 1 में की गैर्थ है राम, लक्ष्मण तथा रावण क्रमश: आठवें बलदेव, वासुदेव तथा प्रतिवासुदेव माने जाते है » प्राकृत एवं. अपभ्रंस /में निम्नलिखित राम साहित्य उपलब्ध होता है - हे (1) प्राकृत :- (1) पडम्‌ चरियं- विमल सुरि (2) सेतुबन्ध य रावणवध- प्रचरसेन (3) चउपन्नमहापुस्सि के अन्तर्गति रामलखन चरियम्‌ -शीलाचार्य । । (4) कहावती के अन्तर्गत रामायण -भदरेश्वर (5) सीया चरियं तथा राम लखन चरियं - भुवनतुग सूरि ` (6) वासुदेव हिंडी- संघदास (2) अपभ्रष् :- (1) प्डम्‌ चरिड अथवा रामायण पुराण- स्वयंभू देव (2) तिसट्ठी महापुरिस गुणालंकार अथवा महापुराण -पुष्पदन्त (3) पद्म पुराण अथवा बलभद्र पुराण- शद्षू-ः `:




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