डॉ॰ हरिवंशराय बच्चन के काव्य में प्रतीक एवं बिम्ब विधान का आलोचनात्मक अध्ययन | Dr. Harivansharay Bacchan Ke Kavaya Men Pratik Evm Bimb Vidhan Ka Aalochanatmak Adhyayan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
93 MB
कुल पष्ठ :
261
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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_ के फलस्वरूप अनेक मानस छवियां आकारधारण करने लगती हैं, आलोचना की शब्दावली में
इन्हें ही काव्य बिम्ब कहते हैं।
इस प्रकार नई समीक्षा मेँ काव्य के अन्य तत्वों की अपेक्षा विम्ब को अधिक महत्व दिया
शप
जाने लगा। वर्तमान में इसका अत्यन्त प्रयोग है।
। विम्ब | चेतन स्मृतियां हैं जो विचारों की मौलिक उत्तेजना के अभाव में उस विचार को
सम्पूर्ण रूप में या आंशिक रूप में प्रस्तुत करती है।
पाश्चात्य दृष्टि से बिम्ब की परिभाषा :
अग्रेजी का (11206) ओर हिन्दी का विम्ब दोनों एक है। “विम्ब 60 का हिन्दी
रूपान्तर है। जिसका अर्थ है- किसी पदार्थ को मूर्त्तता प्रदान करना, चित्रबद्ध करना, प्रतिबिम्बित
करना या मानसी प्रतिकृति निर्मित करना।
अंग्रेजी के तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय शब्दकोष में '॥190 6 ' के अर्थ दिये गये हैं- प्रभावपूर्ण
पद्धति से भाषा में वर्णन करना अथवा मूर्तित करना, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का पुररूत्पादन
करना, दर्पण, चित्रक मूर्तिं आदि।
व्रिरानिका विश्वकार्य में बिम्ब की परिभाषा निम्न प्रकार दी हुई है-
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डा० नगेन काव्य बिम्ब, पृष्ठ 61 ८
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